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Home ताज़ा समाचार

“दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” रिपोर्ट जारी

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July 11, 2024
in ताज़ा समाचार
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बीजिंग, 11 जुलाई (आईएएनएस)। हुआयांग महासागर अनुसंधान केंद्र, चीन के दक्षिण चीन सागर अनुसंधान संस्थान और चीनी अंतर्राष्ट्रीय लॉ सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई रिपोर्ट “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” गुरुवार को पेइचिंग में जारी की गई।

रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

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रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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बीजिंग, 11 जुलाई (आईएएनएस)। हुआयांग महासागर अनुसंधान केंद्र, चीन के दक्षिण चीन सागर अनुसंधान संस्थान और चीनी अंतर्राष्ट्रीय लॉ सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई रिपोर्ट “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” गुरुवार को पेइचिंग में जारी की गई।

रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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बीजिंग, 11 जुलाई (आईएएनएस)। हुआयांग महासागर अनुसंधान केंद्र, चीन के दक्षिण चीन सागर अनुसंधान संस्थान और चीनी अंतर्राष्ट्रीय लॉ सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई रिपोर्ट “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” गुरुवार को पेइचिंग में जारी की गई।

रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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बीजिंग, 11 जुलाई (आईएएनएस)। हुआयांग महासागर अनुसंधान केंद्र, चीन के दक्षिण चीन सागर अनुसंधान संस्थान और चीनी अंतर्राष्ट्रीय लॉ सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई रिपोर्ट “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” गुरुवार को पेइचिंग में जारी की गई।

रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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बीजिंग, 11 जुलाई (आईएएनएस)। हुआयांग महासागर अनुसंधान केंद्र, चीन के दक्षिण चीन सागर अनुसंधान संस्थान और चीनी अंतर्राष्ट्रीय लॉ सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई रिपोर्ट “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” गुरुवार को पेइचिंग में जारी की गई।

रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

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रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

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रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

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रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

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रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

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यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

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रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

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रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

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रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

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बीजिंग, 11 जुलाई (आईएएनएस)। हुआयांग महासागर अनुसंधान केंद्र, चीन के दक्षिण चीन सागर अनुसंधान संस्थान और चीनी अंतर्राष्ट्रीय लॉ सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई रिपोर्ट “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” गुरुवार को पेइचिंग में जारी की गई।

रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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बीजिंग, 11 जुलाई (आईएएनएस)। हुआयांग महासागर अनुसंधान केंद्र, चीन के दक्षिण चीन सागर अनुसंधान संस्थान और चीनी अंतर्राष्ट्रीय लॉ सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई रिपोर्ट “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” गुरुवार को पेइचिंग में जारी की गई।

रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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बीजिंग, 11 जुलाई (आईएएनएस)। हुआयांग महासागर अनुसंधान केंद्र, चीन के दक्षिण चीन सागर अनुसंधान संस्थान और चीनी अंतर्राष्ट्रीय लॉ सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई रिपोर्ट “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय का पुनः खंडन” गुरुवार को पेइचिंग में जारी की गई।

रिपोर्ट ने दक्षिण चीन सागर में विवादों की प्रकृति को स्पष्ट किया। साथ ही इसमें दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों, ऐतिहासिक अधिकारों, मध्यस्थ न्यायाधिकरण की प्रतिनिधित्वशीलता जैसे मुद्दों पर मध्यस्थता निर्णय का विश्लेषण और खंडन किया गया। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थता निर्णय की भ्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कानून के शासन को होने वाले नुकसान के बारे में बताती है।

रिपोर्ट के अनुसार फिलीपींस द्वारा एकतरफा शुरू किए गए तथाकथित “दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय” को जारी हुए 8 साल हो गए हैं। न केवल दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री परिसीमन विवादों का समाधान प्रदान करना असंभव है, बल्कि यह पहले से ही जटिल दक्षिण चीन सागर के मुद्दों को हल करना और भी कठिन बना देता है।

यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अखंडता, संतुलन और गंभीरता को प्रभावित करता है। और, कन्वेंशन पर सदस्य देशों के विश्वास को भी कमजोर करता है। हाल के वर्षों में क्षेत्र के अंदर और बाहर के कुछ देश अभी भी अवैध और अमान्य दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता निर्णय को “मानक” मानते हैं। यह दक्षिण चीन सागर में स्थिति को भड़काने और चीन और आसियान देशों के बीच कलह पैदा करने के कुछ बाहरी ताकतों के भयावह इरादों को दर्शाता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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