नई दिल्ली, 28 सितम्बर (आईएएनएस)। ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक बयान समाने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि दिल का दौरा और स्ट्रोक एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है। इसके कारण भारत सहित दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में प्रतिवर्ष 3.9 मिलियन लोगों की मौत होती है।
हार्ट संबंधी बीमारियों (सीवीडी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ इसके रोकथाम के उपाय और समय से इस बारे में पता लगाने के लिए हर साल 29 सितंबर को ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ मनाया जाता है। इस साल ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ की थीम ‘यूज हार्ट फॉर एक्शन’ रखी गई है।
दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक सैमा वाजेद ने कहा, ”हृदय संबंधी रोग एक महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। इस बीमारी से हर साल 18 मिलियन से अधिक लोगों की मौत होती है।”
उन्होंने कहा, ”दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र से ज्यादा मामले सामने आते हैं। यहां हृदय रोग से मरने वाले लोगों की संख्या हर साल 3.9 मिलियन होती है। इस क्षेत्र में होने वाली कुल मौतों में 30 प्रतिशत मौतें हार्ट की समस्या से होती है। इसमें से आधी माैतें 70 वर्ष की आयु से पहले ही हो जाती है।”
हार्ट पूरे शरीर में रक्त पंप करने, पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने के साथ शरीर में पोषक तत्व पहुंचाने का भी काम करता है। यह कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब हार्ट बेहतर तरीके से काम नहीं कर पाता तो दिल के दौरे, स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थितियां पैदा हो जाती हैं।
वाजेद ने बढ़ते हार्ट डिजीज के पीछे तम्बाकू सेवन, अनहेल्दी भोजन, विशेष रूप से नमक की अधिक मात्रा, फिजिकल एक्टिविटी के न होने के साथ शराब के सेवन को भी जिम्मेदार ठहराया है।
इसके साथ ही हार्ट डिजीज के मामलों को कम करने के लिए हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, लिपिड या वसा की शरीर में बढ़ोत्तरी के बाद इसका समय से उपचार आवश्यक है।
वाजेद ने कहा, ”इसके अलावा दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में चार में से एक व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर का शिकार है। वहीं 10 में से एक व्यक्ति शुगर की बीमारी से पीड़ित है। इनमें से 15 प्रतिशत से भी कम लोगों को प्रभावी उपचार मिल रहा है।
एस्टर आर.वी. अस्पताल, बेंगलुरु के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के प्रमुख सलाहकार डॉ. एस. वेंकटेश ने कहा कि एक लंबा जीवन जीने के लिए हृदय का स्वास्थ्य रहना जरूरी है।
उन्होंने कहा, “सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और अनियमित दिल की धड़कन जैसे शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देने से जान बचाई जा सकती है।”
–आईएएनएस
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