नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड से कहा, वह 123 संपत्तियों से संबंधित सभी मामलों से बोर्ड को मुक्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने के लिए अलग याचिका दायर करे, जो लंबे समय से विवादों में है।
रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की एकल-न्यायाधीश पीठ ने 123 संपत्तियों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ लंबित याचिका के लिए बोर्ड द्वारा दायर एक आवेदन पर तत्काल आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। वक्फ बोर्ड ने पिछले साल याचिका दायर की थी।
अदालत ने 4 अगस्त को अगली सुनवाई के लिए लंबित याचिका के साथ आवेदन को सूचीबद्ध कर दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 8 फरवरी को वक्फ बोर्ड ने केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के पत्र को चुनौती देते हुए एक आवेदन दायर किया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने बोर्ड का प्रतिनिधित्व करते हुए तर्क दिया कि उपर्युक्त संपत्तियों से बोर्ड को मुक्त करने के लिए भारत संघ के पास शक्ति का कोई स्रोत नहीं है। उन्होंने कहा, यदि आपके पास शक्ति नहीं है, तो आप वैधानिक योजना के तहत कुछ नहीं कर सकते।
उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 1911 से और उसके बाद से आज तक जब पत्र आया है, ये संपत्तियां वक्फ संपत्तियों से संबंधित हैं, वक्फ बोर्ड से संबंधित हैं, जिन्हें अधिनियम (दिल्ली वक्फ अधिनियम) के तहत बोर्ड द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित किया जाता है। उन्होंने कहा कि पूर्ण वैधानिक योजना के अनुसार संपत्तियों को बोर्ड से मुक्त करने की केंद्र या राज्य सरकार की कोई अवधारणा नहीं है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि आवेदन में बोर्ड की प्रार्थनाएं लंबित याचिका के दायरे से पूरी तरह बाहर हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत द्वारा पारित विभिन्न आदेशों का जिक्र किया, जिसमें दो सदस्यीय समिति, जो संपत्तियों की स्थिति की जांच कर रही थी पर रोक लगाने के बोर्ड के आवेदन और उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।
शर्मा ने आगे कहा कि समिति की दी गई रिपोर्ट को एक बार चुनौती मिलने के बाद, हम इसे पूरा करेंगे। यह इस आवेदन द्वारा नहीं किया जा सकता है। यह एक मूल रिट याचिका है।
–आईएएनएस
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