नई दिल्ली, 30 सितंबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि तीन अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसके लिए दिल्ली में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। नवरात्रि में माता भगवती की पूजा कैसे करेंगे, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा? इस संबंध में कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने सोमवार को जानकारी दी।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि नवरात्रि का पावन अवसर शक्ति की उपासना का केंद्र है। इस दौरान ब्रह्मांड में बनने वाले विशेष योगों के कारण इस दौरान की गई पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होती है और आयुर्वेद के अनुसार भी ऋषियों ने इस काल को बहुत महत्वपूर्ण माना है। इस काल को यमदष्टा काल भी माना जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना के दौरान नियंत्रित आहार का सेवन करने से भक्त शरीर में ऊर्जा बनाए रखते हैं। इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व भी कहा जाता है।
इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगी। दिल्ली के कालका पीठ के बारे में उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पावन अवसर पर राष्ट्र के कल्याण की कामना करते हुए श्री शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस बार भी शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। इसमें राष्ट्र के कल्याण के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाएगी। यह पवित्र अनुष्ठान वैदिक विद्वानों द्वारा कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जा रही है और घट स्थापना हमेशा स्थिर लग्न में की जाती है। इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से शुरू हो रहा है, क्योंकि इस दौरान स्थिर लग्न होता है। इस बार मां भगवती पालकी की सवारी में आ रही हैं, जो बहुत ही शुभ है और भक्तों का कल्याण होगा।
–आईएएनएस
आरके/सीबीटी
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नई दिल्ली, 30 सितंबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि तीन अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसके लिए दिल्ली में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। नवरात्रि में माता भगवती की पूजा कैसे करेंगे, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा? इस संबंध में कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने सोमवार को जानकारी दी।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि नवरात्रि का पावन अवसर शक्ति की उपासना का केंद्र है। इस दौरान ब्रह्मांड में बनने वाले विशेष योगों के कारण इस दौरान की गई पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होती है और आयुर्वेद के अनुसार भी ऋषियों ने इस काल को बहुत महत्वपूर्ण माना है। इस काल को यमदष्टा काल भी माना जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना के दौरान नियंत्रित आहार का सेवन करने से भक्त शरीर में ऊर्जा बनाए रखते हैं। इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व भी कहा जाता है।
इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगी। दिल्ली के कालका पीठ के बारे में उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पावन अवसर पर राष्ट्र के कल्याण की कामना करते हुए श्री शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस बार भी शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। इसमें राष्ट्र के कल्याण के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाएगी। यह पवित्र अनुष्ठान वैदिक विद्वानों द्वारा कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जा रही है और घट स्थापना हमेशा स्थिर लग्न में की जाती है। इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से शुरू हो रहा है, क्योंकि इस दौरान स्थिर लग्न होता है। इस बार मां भगवती पालकी की सवारी में आ रही हैं, जो बहुत ही शुभ है और भक्तों का कल्याण होगा।
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नई दिल्ली, 30 सितंबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि तीन अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसके लिए दिल्ली में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। नवरात्रि में माता भगवती की पूजा कैसे करेंगे, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा? इस संबंध में कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने सोमवार को जानकारी दी।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि नवरात्रि का पावन अवसर शक्ति की उपासना का केंद्र है। इस दौरान ब्रह्मांड में बनने वाले विशेष योगों के कारण इस दौरान की गई पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होती है और आयुर्वेद के अनुसार भी ऋषियों ने इस काल को बहुत महत्वपूर्ण माना है। इस काल को यमदष्टा काल भी माना जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना के दौरान नियंत्रित आहार का सेवन करने से भक्त शरीर में ऊर्जा बनाए रखते हैं। इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व भी कहा जाता है।
इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगी। दिल्ली के कालका पीठ के बारे में उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पावन अवसर पर राष्ट्र के कल्याण की कामना करते हुए श्री शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस बार भी शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। इसमें राष्ट्र के कल्याण के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाएगी। यह पवित्र अनुष्ठान वैदिक विद्वानों द्वारा कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जा रही है और घट स्थापना हमेशा स्थिर लग्न में की जाती है। इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से शुरू हो रहा है, क्योंकि इस दौरान स्थिर लग्न होता है। इस बार मां भगवती पालकी की सवारी में आ रही हैं, जो बहुत ही शुभ है और भक्तों का कल्याण होगा।
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इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगी। दिल्ली के कालका पीठ के बारे में उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पावन अवसर पर राष्ट्र के कल्याण की कामना करते हुए श्री शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस बार भी शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। इसमें राष्ट्र के कल्याण के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाएगी। यह पवित्र अनुष्ठान वैदिक विद्वानों द्वारा कराया जाएगा।
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उन्होंने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि नवरात्रि का पावन अवसर शक्ति की उपासना का केंद्र है। इस दौरान ब्रह्मांड में बनने वाले विशेष योगों के कारण इस दौरान की गई पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होती है और आयुर्वेद के अनुसार भी ऋषियों ने इस काल को बहुत महत्वपूर्ण माना है। इस काल को यमदष्टा काल भी माना जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना के दौरान नियंत्रित आहार का सेवन करने से भक्त शरीर में ऊर्जा बनाए रखते हैं। इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व भी कहा जाता है।
इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगी। दिल्ली के कालका पीठ के बारे में उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पावन अवसर पर राष्ट्र के कल्याण की कामना करते हुए श्री शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस बार भी शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। इसमें राष्ट्र के कल्याण के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाएगी। यह पवित्र अनुष्ठान वैदिक विद्वानों द्वारा कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जा रही है और घट स्थापना हमेशा स्थिर लग्न में की जाती है। इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से शुरू हो रहा है, क्योंकि इस दौरान स्थिर लग्न होता है। इस बार मां भगवती पालकी की सवारी में आ रही हैं, जो बहुत ही शुभ है और भक्तों का कल्याण होगा।
–आईएएनएस
आरके/सीबीटी
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नई दिल्ली, 30 सितंबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि तीन अक्टूबर से शुरू हो रही है। इसके लिए दिल्ली में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। नवरात्रि में माता भगवती की पूजा कैसे करेंगे, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा? इस संबंध में कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने सोमवार को जानकारी दी।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि नवरात्रि का पावन अवसर शक्ति की उपासना का केंद्र है। इस दौरान ब्रह्मांड में बनने वाले विशेष योगों के कारण इस दौरान की गई पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होती है और आयुर्वेद के अनुसार भी ऋषियों ने इस काल को बहुत महत्वपूर्ण माना है। इस काल को यमदष्टा काल भी माना जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना के दौरान नियंत्रित आहार का सेवन करने से भक्त शरीर में ऊर्जा बनाए रखते हैं। इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व भी कहा जाता है।
इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगी। दिल्ली के कालका पीठ के बारे में उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पावन अवसर पर राष्ट्र के कल्याण की कामना करते हुए श्री शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस बार भी शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है। इसमें राष्ट्र के कल्याण के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाएगी। यह पवित्र अनुष्ठान वैदिक विद्वानों द्वारा कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जा रही है और घट स्थापना हमेशा स्थिर लग्न में की जाती है। इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 बजे से शुरू हो रहा है, क्योंकि इस दौरान स्थिर लग्न होता है। इस बार मां भगवती पालकी की सवारी में आ रही हैं, जो बहुत ही शुभ है और भक्तों का कल्याण होगा।