नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों में लगभग 157 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी से जुड़े मामले में आरोपी संकेत भद्रेश मोदी की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
ऐसा माना जाता है कि इस धोखाधड़ी को भारत में स्थित कॉल सेंटरों से आने वाली फर्जी कॉलों के माध्यम से अंजाम दिया गया है। सीबीआई ने दावा किया है कि आरोपी ने खुद को भारतीय राजस्व सेवा, यूएसए इमिग्रेशन विभाग, विभिन्न बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों जैसी संस्थाओं के अधिकारियों के रूप में पेश किया था।
कथित तौर पर इन धोखेबाजों ने पीड़ितों को विभिन्न माध्यमों से फीस, जुर्माना या करों का भुगतान करने के लिए मजबूर किया, जबकि संवेदनशील बैंक खाते की डिटेल और परिचय पत्र (क्रेडेंशियल) भी निकाले।
विशेष न्यायाधीश अश्विनी कुमार सरपाल ने कई मौकों पर जांच में सहयोग करने में आरोपी की विफलता का हवाला दिया, जिसमें ईमेल खातों और बिटकॉइन वॉलेट के पासवर्ड का खुलासा न करना भी शामिल है।
इसके अलावा, आरोपी पर अपने कर्मचारियों पर सीबीआई के साथ सहयोग न करने के लिए दबाव डालने और धमकी देने का भी आरोप लगाया गया। न्यायाधीश सरपाल ने आरोपी को रिहा किए जाने पर डिजिटल साक्ष्यों से संभावित छेड़छाड़ के बारे में चिंता व्यक्त की।
पासवर्ड का खुलासा न करने के कारण बिटकॉइन वॉलेट और आईक्लाउड खातों में आरोपी की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के साथ-साथ आपराधिक साजिश, एक लोक सेवक का अपमान करना, जबरन वसूली, धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी शामिल है।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि यह रैकेट 2015 से सक्रिय था, जिसमें अमेरिकी नागरिकों को गिरफ्तारी, आपराधिक मामले, जुर्माना और संपत्ति जब्ती की धमकियों के साथ निशाना बनाया गया था।
–आईएएनएस
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