नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।
–आईएएनएस
एसजीके/
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा की अंतरिम जमानत याचिका पर 16 जनवरी तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अरोड़ा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
अरोड़ा ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए 10 जनवरी को तीन महीने की अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।
अरोड़ा ने अदालत को सूचित किया था कि गिरफ्तारी के बाद से उनका वजन लगभग 10 किलोग्राम कम हो गया है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अरोड़ा की याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों ने उन्हें सरकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया था, जहां उनकी जांच हुई और नुस्खे मिले।
चिकित्सा देखभाल के बावजूद, अस्पताल के डॉक्टरों ने अरोड़ा के स्वास्थ्य में सुधार की कमी देखी।
याचिका में सटीक निदान और तत्काल चिकित्सा उपचार की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत पर उनकी तत्काल रिहाई का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लंबे समय तक हिरासत में रहने से अरोड़ा का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जिससे उनके और उनके परिवार के लिए असहनीय परिणाम हो सकते हैं।
याचिका में जेलों में चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बीच असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए जेल सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
इसमें कहा गया है कि जेल में अरोड़ा की स्थिति के लिए आवश्यक विशेषीकृत और गहन देखभाल का अभाव है।
पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट ने अरोड़ा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरोड़ा ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वित्तीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ अधूरा आरोप पत्र दायर किया था।
उन्होंने दावा किया कि अगर जांच एजेंसी गिरफ्तारी से लेकर जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा दी गई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो ईडी ने डिफ़ॉल्ट जमानत पाने के उनके “वैधानिक अधिकार” को खत्म करने के लिए अधूरी चार्जशीट दायर की थी।