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Home ताज़ा समाचार

दिल्ली दंगा : शरजील ने मुख्य साजिशकर्ता कहे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

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December 7, 2022
in ताज़ा समाचार
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दिल्ली दंगा : शरजील ने मुख्य साजिशकर्ता कहे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
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नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। समामाकि कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने दिल्ली दंगों के मामले में सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। समामाकि कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने दिल्ली दंगों के मामले में सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। समामाकि कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने दिल्ली दंगों के मामले में सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

–आईएएनएस

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

–आईएएनएस

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। समामाकि कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने दिल्ली दंगों के मामले में सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। समामाकि कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने दिल्ली दंगों के मामले में सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। समामाकि कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने दिल्ली दंगों के मामले में सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। समामाकि कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने दिल्ली दंगों के मामले में सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करने के अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

इमाम की याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इन टिप्पणियों को सही ठहराए जाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण के उनके मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करता है।

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इमाम ने शीर्ष अदालत में अधिवक्ता जफीर अहमद बी.एफ. के माध्यम से याचिका दायर की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए इमाम को यकीनन साजिश का मुखिया बताया था।

इमाम द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उसने 18 अक्टूबर को पारित हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। हाईकोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत की अपील को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता (जो मामले में पक्षकार नहीं था) के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं। इमाम ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट की कई टिप्पणियां शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पूरी तरह उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद लगातार इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन षड्यंत्र के प्रमुख थे और उन्हें एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था।

अदालत ने इमाम को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर ध्यान दिया और कहा कि वह जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का मुख्य सदस्य था, जिसे नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बनाया गया था। विधेयक 4 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।

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