नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। टिनिटस रोग से पीड़ित नीदरलैंड के एक व्यक्ति का दिल्ली के एक अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज किया। इस बीमारी का असर उनके दैनिक जीवन पर पड़ रहा था।
टिनिटस कान में एक असामान्य ध्वनि पैदा करती है। यह मरीज के कान में रुक-रुक कर होने वाली ध्वनि है। यह कई तरह की हो सकती है।
अधेड़ उम्र का व्यक्ति पल्सेटाइल टिनिटस से पीड़ित था, जहां वह दो साल से अधिक समय से दिन-रात लगातार आ रही आवाजों से परेशान था। इससे वह बहुत चिड़चिड़ा हो गया था।
इस बीमारी की वजह से उसका वजन कम हो गया और उसकी भूख भी कम हो गई थी। नियमित रूप से नींद की गोलियां लेने के बावजूद भी उन्हें नींद नहीं आती थी।
मस्तिष्क के एमआरआई स्कैन से धमनियों द्वारा श्रवण तंत्रिका के अत्यधिक प्रभाव का पता चला। यह प्रभाव सामान्य आकार से दोगुने से भी अधिक था।
हालांकि, इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने माइक्रोवैस्कुलर न्यूरोसर्जरी का सुझाव दिया।
डॉ. प्रणव ने कहा, “मरीज के एमआरआई स्कैन से काफी जटिल शारीरिक रचना का पता चला था। श्रवण तंत्रिका में कई स्तरों पर बाधा थी। एक बिंदु पर, धमनियों में से एक द्वारा इसे कसकर दबाया जा रहा था। यह काफी चुनौतीपूर्ण और मांग वाली सर्जरी थी।”
अस्पताल में न्यूरोसर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार कुमार ने एक बयान में कहा कि सर्जरी पूरी तरह से नई नहीं है लेकिन यह असाधारण रूप से चुनौतीपूर्ण थी। इसमें काफी जोखिम और विफलता का डर था।
डॉक्टर ने कहा, सर्जरी के बाद मरीज को अपने टिनिटस में लगभग 90 प्रतिशत सुधार महसूस हो रहा है।
कुमार ने कहा, “हमें खुशी है कि हमारे प्रयासों से मरीज के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। मरीज के अपने शब्दों में, वह अब एक अलग आदमी हैं, एक सामान्य इंसान की तरह सोता और खाता है। उसे अब नींद की गोलियों की जरूरत नहीं है।”
अस्पताल में ईएनटी और न्यूरोटोलॉजी सर्जन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. (प्रोफेसर) अमीत किशोर ने कहा, “हमें खुशी है कि हमने टिनिटस के इस दुर्लभ रूप का समाधान प्रदान किया है, जिससे मरीज के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है।”
–आईएएनएस
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