नई दिल्ली, 28 जनवरी (आईएएनएस) । एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) यहां इंडिया हैबिटेट सेंटर में 7-9 फरवरी तक विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएसडीएस) के 23वें संस्करण का आयोजन करेगा, इसमें नेता, नीति निर्माता और विशेषज्ञ शामिल होंगे। सम्मेलन में नवीन समाधान साझा करने और ऐसी रणनीतियां तैयार करने, जो न केवल पर्यावरणीय स्थिरता बल्कि सामाजिक समानता को भी प्राथमिकता दें, पर चर्चा की जाएगी।
लगातार बढ़ती संघर्ष की स्थिति, ग्रहीय संकट और प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के पीछे खिसकने की पृष्ठभूमि में, शिखर सम्मेलन ‘सतत विकास और जलवायु न्याय के लिए नेतृत्व’ के छत्र विषय के तहत आयोजित किया जाएगा और इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालना है।
उद्घाटन और समापन समारोह के अलावा, शिखर सम्मेलन में 11 पूर्ण सत्र होंगे। इसमें महिला नेतृत्व, व्यवसाय और युवाओं पर उच्च स्तरीय सत्र भी शामिल होंगे।
शिखर सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गुयाना के प्रधानमंत्री ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) मार्क फिलिप्स और पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव द्वारा किए जाने की उम्मीद है।
शिखर सम्मेलन में वक्ताओं में फिजी के कृषि और जलमार्ग मंत्रालय के मंत्री वतिमी रायलु, किरिबाती बुनियादी ढांचा और सतत ऊर्जा मंत्रालय के मंत्री विली टोकाटाके, भारत सरकार के जी20 शेरपा अमिताभ कांत; स्पेन के पारिस्थितिक संक्रमण और जनसांख्यिकी चुनौती मंत्री टेरेसा रिबेरा रोड्रिग्ज, विश्व बैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र के उपाध्यक्ष के मार्टिन रायसर, श्रीलंका के पर्यावरण मंत्री हेलिया रामबुकवेला, और जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष होसुंग ली शामिल होंगे ।
ग्लोबल साउथ की आवाज़ को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए, टेरी की महानिदेशक विभा धवन ने रेखांकित किया, “शिखर सम्मेलन का विषय निर्णायक कार्रवाई, दूरदर्शी नेतृत्व और सामूहिक जिम्मेदारी की अनिवार्यता को रेखांकित करता है।”
सतत विकास और जलवायु कार्रवाई पर चर्चा को आगे बढ़ाने में डब्लूएसडीएस की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, शैली केडिया, क्यूरेटर, डब्लूएसडीएस और सीनियर फेलो, टीईआरआई ने जोर देकर कहा, “दुनिया के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों में ग्रह संबंधी संकट, प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों का पीछे खिसकना और लगातार बढ़ती संघर्ष की स्थिति विश्व शांति के लिए खतरा बन रही है।”
–आईएएनएस
सीबीटी/