नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने मंगलवार को दिल्ली जल बोर्ड के लोक कल्याणकारी कार्यों में बाधा डालने के लिए वित्त विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई, यह देखते हुए कि प्रमुख सचिव, वित्त द्वारा लगातार बाधाओं के कारण काम काफी हद तक ठप पड़ा है।
कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम
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नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने मंगलवार को दिल्ली जल बोर्ड के लोक कल्याणकारी कार्यों में बाधा डालने के लिए वित्त विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई, यह देखते हुए कि प्रमुख सचिव, वित्त द्वारा लगातार बाधाओं के कारण काम काफी हद तक ठप पड़ा है।
कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
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नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने मंगलवार को दिल्ली जल बोर्ड के लोक कल्याणकारी कार्यों में बाधा डालने के लिए वित्त विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई, यह देखते हुए कि प्रमुख सचिव, वित्त द्वारा लगातार बाधाओं के कारण काम काफी हद तक ठप पड़ा है।
कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
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नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने मंगलवार को दिल्ली जल बोर्ड के लोक कल्याणकारी कार्यों में बाधा डालने के लिए वित्त विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई, यह देखते हुए कि प्रमुख सचिव, वित्त द्वारा लगातार बाधाओं के कारण काम काफी हद तक ठप पड़ा है।
कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
–आईएएनएस
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
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त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
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त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
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कई महीनों से रुके हुए डीजेबी के कार्यों के संबंध में समिति ने दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया और समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में पूरे मामले की सुनवाई की।
त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी अधिकारी शहर की जनता के प्रति इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि छह माह से विभाग का काम ठप पड़ा है, फिर भी उन्हें कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों की घोर संवेदनहीनता ने पिछले 6 महीनों में दिल्ली में कई काम ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं।
डीजेबी के उपाध्यक्ष और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण ये सारे काम रुके हुए हैं और पहली बार फंड देते समय इस तरह की आपत्तियां उठाई गईं। विधानसभा द्वारा दिया जाने वाला दिल्ली जल बोर्ड का बजट व्यवहार में कभी बंद नहीं होता, लेकिन इस बार वित्त विभाग ने राशि रोक दी। वित्त विभाग के प्रधान सचिव ए. सी. वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां उठाईं, इसलिए जल बोर्ड द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे का लगभग दो-तिहाई ही खर्च किया जा सका।
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं और कुछ ऐसे दस्तावेज मांगे थे, जो ऐतिहासिक रूप से इन कार्यों के लिए पहले कभी नहीं मांगे गए थे।