नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)। ईडी ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले की जांच के दौरान पंजाब सरकार की मशीनरी, खासकर पंजाब आबकारी विभाग द्वारा शक्ति के दुरुपयोग के एक चौंकाने वाले मामले का खुलासा किया है।
ईडी की जांच में एक परेशान करने वाला पैटर्न सामने आया है, जहां शराब कारोबारियों को कुछ लोगों के लाभ के लिए अपना वेंडिंग लाइसेंस सरेंडर करने के लिए मजबूर किया गया था।
ईडी की जांच के मुताबिक, पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद सरकारी तंत्र का कथित तौर पर गलत इस्तेमाल किया जा रहा था।
सूत्रों ने कहा कि ईडी की जांच में कथित तौर पर सामने आया है कि मामले के आरोपी विजय नायर और दिनेश अरोड़ा ने महादेव लिकर (शराब) को दिल्ली में अपना एल1 लाइसेंस छोड़ने के लिए मजबूर करने के लिए एक मजबूत रणनीति अपनाई थी।
सूत्रों के अनुसार, आप की सरकार बनने के तुरंत बाद पंजाब सरकार की मशीनरी का दुरुपयोग किया गया। विजय नायर और दिनेश अरोड़ा अपराधी थे। उन्होंने महादेव लिकर को अपना एल1 लाइसेंस सरेंडर करने के लिए मजबूर किया।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सब कुछ पता था, लेकिन उन्होंने नायर की आपराधिक गतिविधियों का समर्थन किया। इस हथकंडे के चलत चार निर्माताओं का कारोबार शिव एसोसिएट्स और दीवान स्पिरिट्स की ओर स्थानांतिरत कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, बाद में दोनों फर्मों ने 8.02 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जिसे ईडी ने अपराध की कमाई माना है। एक सूत्र ने कहा कि जब उनकी जांच में आरोपियों द्वारा पंजाब सरकार की मशीनरी के दुरुपयोग का खुलासा हुआ तो वे भी हैरान रह गए।
ईडी का मामला सीबीआई की एफआईआर पर आधारित है। ईडी ने मामले में अब तक चार चार्जशीट दायर की हैं।
–आईएएनएस
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