नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने कुछ महिला शिक्षकों द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर शहर के एक सरकारी स्कूल के उप प्रधानाध्यापक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है।
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) को कादीपुर इलाके में लड़कों के स्कूल के उप प्रधानाध्यापक के खिलाफ यौन और मानसिक उत्पीड़न की कई शिकायतें मिलने के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई है।
डीसीडब्ल्यू के अनुसार, शिकायतकर्ताओं ने कहा कि आरोपी ने स्कूल की शिक्षिकाओं का यौन और मानसिक उत्पीड़न किया है। शिक्षिकाओं ने उसके खिलाफ कई बार उच्चाधिकारियों से भी शिकायत की थी।
डीसीडब्ल्यू की एक अधिकारी ने कहा, मामले की जांच करने पर आयोग को सूचित किया गया कि स्कूल की कर्मचारी स्तरीय शिकायत निवारण समिति ने मामले की जांच की है और आरोपों को सही पाया है। समिति ने उसके स्थानांतरण/निलंबन की सिफारिश की है।
इसके अलावा, डीसीडब्ल्यू को यह भी पता चला कि भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (ए), 354 (सी), 354 (डी) और 506 के तहत एक अन्य महिला द्वारा 2022 में उक्त आरोपी के खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।
डीसीडब्ल्यू द्वारा शिक्षा निदेशक को समन जारी कर मामले में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई थी।
शिक्षा निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी 15 मई को आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और बताया कि आरोपी उप प्रधानाध्यापक का स्कूल से तबादला कर दिया गया है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम, 2013 के तहत मामले को जिले की स्थानीय शिकायत समिति को भेज दिया गया है।
हालांकि, डीसीडब्ल्यू प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कार्रवाई को अपर्याप्त माना और मामले में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
अधिकारी ने कहा, इसके बाद, अधिकारी एक बार फिर आयोग के सामने पेश हुए और घोषणा की कि शिक्षा निदेशक ने आरोपी के खिलाफ सीसीएस आचरण नियम 1964 की धारा 14 के तहत बड़ी सजा के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का निर्णय लिया है।
मालीवाल ने कहा, सरकारी स्कूल की कुछ शिक्षिकाओं ने उप प्रधानाचार्य द्वारा यौन और मानसिक उत्पीड़न की शिकायतों के साथ आयोग से संपर्क किया। आयोग ने शिक्षा निदेशालय के साथ मामले को उठाया और आरोपी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न दुनिया भर में एक कठोर वास्तविकता है।
उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्कूलों में भी ऐसी घटनाएं होती हैं। आयोग के प्रयासों से आरोपी व्यक्ति को स्थानांतरित कर दिया गया है और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। आयोग की यौन उत्पीड़न के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस की नीति है और आयोग न्याय की उनकी तलाश में साथ खड़ा रहेगा।
–आईएएनएस
एकेजे