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Home ताज़ा समाचार

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने रागियों को सम्मानित करने की घोषणा की

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October 25, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

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डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

–आईएएनएस

पीएसके/केआर

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

–आईएएनएस

पीएसके/केआर

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

–आईएएनएस

पीएसके/केआर

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नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के अंतर्गत रागों के माध्यम से कीर्तन करने वाले रागियों को हर साल “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन रागियों के लिए है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज द्वारा प्रस्तुत 31 रागों पर आधारित कीर्तन करते हैं।

डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

–आईएएनएस

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डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

–आईएएनएस

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डीएसजीएमसी के इस फैसले पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरमीत सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि रागियों को लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचान दिलाने के उद्देश्य से “शिरोमणि रागी” पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हरमीत सिंह ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहब महाराज 31 रागों पर आधारित हैं। ये राग गुरु साहब द्वारा दिए गए हैं, न कि किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा। हालांकि, रागों पर कीर्तन करने वाले रागी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं इसलिए हमने यह फैसला किया है कि हम उन्हें सम्मानित करेंगे।

उन्होंने कहा कि समिति ने यह भी तय किया है कि पहले स्थान पर आने वाले रागी को 11 लाख 51 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, अगले पांच रागियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो उन विद्वानों से मिलकर बनेगी जो रागों और गुरबाणी के ज्ञान में पारंगत हैं।

हरमीत सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब दिल्ली से गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इन रागियों को सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरू की है। हम चाहते हैं कि जो रागी विश्वभर में हैं और जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं, उन्हें फिर से पहचाना जाए। इस पहल से न केवल रागियों को सम्मान मिलेगा, बल्कि यह सिख धार्मिक संगीत की परंपरा को जीवित रखने में भी सहायक होगी। डीएसजीएमसी का यह कदम सिख समुदाय के भीतर कीर्तन की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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