नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली में यातायात अपराधों के लिए कंपाउंडिंग फीस की 50 फीसद रकम सड़क सुरक्षा कोष में लगाने का निर्देश दिया गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वाहन चालक चौड़ी सड़कों पर तेज गति से वाहन चलाते हैं। स्कूल, मेट्रो स्टेशन और व्यवसायिक एरिया में इस तरह की दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। यहां पैदल यात्री सड़कों से अधिक गुजरते हैं।
सड़क सुरक्षा को लेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक समीक्षा बैठक की। दिल्ली सरकार ने सड़क सुरक्षा के लिए जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय की यूनिट व केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के साथ एक अध्ययन किया था। स्टडी के अनुसार, 87 फीसद मोटरसाइकिल चालकों को हेलमेट पहने देखा गया, 66 फीसद चालकों ने सही तरीके से हेलमेट पहना था। 85 फीसद चालक सीट-बेल्ट पहन कर वाहन चलाते हैं। पीछे की सीट वाले यात्री से आगे की सीट वाले यात्रियों में सीट-बेल्ट पहनने का अनुपात अधिक पाया गया। इसमें पांच साल से कम उम्र के 14 फीसद और 5 से 11 साल के 3 फीसद बच्चों को सुरक्षा उपायों का उपयोग करते पाया गया।
स्पीड स्टडी के तहत 98,294 वाहनों को शामिल किया गया और यह पाया गया कि सभी वाहनों की औसत गति 44 किमी प्रति घंटा है, जबकि लगभग 21 फीसद वाहन निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से चल रहे हैं। वहीं, हर दूसरी मोटरसाइकिल ओवरस्पीड है, लगभग 50 फीसद हल्के ट्रक, कार, ऑटो और ट्रक ओवरस्पीडिंग में चल रहे रहे हैं। इसके अलावा, अधिकांश कारें शहर के अंदर 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं और करीब 8.5 फीसद कारें, 10.2 फीसद लाइट पिकअप ट्रक 80 किमी प्रति घंटा से अधिक रफ्तार से चलती हैं। अधिकांश दो पहिया वाहन शहर के अंदर 40-60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलते पाए गए।
स्टडी के उपरांत तीन प्रमुख निष्कर्ष निकाले गए। पहला, हेलमेट क्लैस्पिंग नियम को तत्काल लागू करने की जरूरत है। दूसरा, पिछली सीट के यात्रियों के लिए सीट-बेल्ट लागू करने और बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। तीसरा, ट्रकों और हल्के पिकअप ट्रकों के लिए तत्काल गति प्रवर्तन आवश्यक है।
रोड क्रैश डेथ रिडक्शन टारगेट की समीक्षा करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसकी संख्या पर चिंता व्यक्त की और गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट मैकेनिज्म का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट मैकेनिज्म को मजबूत करने के इरादे से फरिश्ते दिल्ली के योजना शुरू की थी, जिसके परिणाम स्वरूप हजारों लोगों की जान बचाई गई है। इस योजना ने पिछले दो वर्षों में लगभग 13,000 मामलों में मुफ्त इलाज प्रदान करने में मदद की है।
साइकिल और ई-रिक्शा जैसे धीमी गति से चलने वाले वाहन बस लेन की जगह ले लेते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है। विभाग ने इस समस्या को दूर करने के लिए दो उपायों का सुझाव दिया है।
पहला, एनडीएमसी क्षेत्र, बाहरी और आंतरिक रिंग रोड जैसी प्रमुख सड़कों पर जीरो टॉलरेंस कॉरिडोर स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत, पीडब्ल्यूडी बस लेन पहल का समर्थन करने के लिए नई बस लेन माकिर्ंग को लागू करेगा। ट्रैफिक पुलिस बस लेन में पार्क किए गए वाहनों को हटाएगी और एमसीडी व एनडीएमसी जीरो टॉलरेंस कॉरिडोर पर अतिक्रमण हटाने का कार्य करेगी।
दूसरा, बस लेन की रीडिजाइनिंग करने का प्रस्ताव दिया है। विभाग ने धीमी गति से चलने वाले वाहनों को रास्ता देने और बस लेन को मुक्त रखने के लिए चौड़ी सड़कों पर बस लेन को फिर से डिजाइन करने का सुझाव दिया है।
सीएम केजरीवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे परियोजना को अपने हाथ में लें और दिल्ली पुलिस के साथ-साथ प्रवर्तन विभाग भी अपनी सतर्कता बढ़ाए, ताकि इसे बेहतर तरीके से अमल में लाया जा सके।
इस दौरान विभाग ने 15 चौराहों पर रोड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट्स (सड़क सुधार परियोजनाओं) को लेकर प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत की। हस्तक्षेपों को लागू करके परिवहन विभाग 15 चौराहों पर ट्रैफिक जाम को काफी हद तक कम करने में कामयाब रहा है।
यहां सेफ स्कूल जोन स्थापित करने का रोडमैप भी प्रस्तुत किया। दिल्ली भर में 11 स्कूलों को सेफ स्कूल जोन के मॉडल को डिजाइन करने के लिए पहले ही चुना जा चुका है। सरकार अब 100 सेफ स्कूल जोन के लिए पायलट योजना को आगे बढ़ाएगी।
–आईएएनएस
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