नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को भारतपे के पूर्व प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर और उनके परिजनों को नोटिस और सम्मन जारी किया, जिसमें कंपनी द्वारा दायर याचिका में उन्हें कंपनी के खिलाफ अपमानजनक बयान देने से रोकने और अन्य राहत देने की मांग की गई थी।
भारतपे ने 2,800 पन्नों के अपने मुकदमे में कथित धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी के लिए ग्रोवर, उनकी पत्नी और उनके भाई से 88.67 करोड़ रुपये के हर्जाने का दावा किया है।
मांगे गए हर्जाने में गैर-मौजूद वेंडरों के चालान के खिलाफ 71.7 करोड़ रुपये के भुगतान का दावा, जीएसटी अधिकारियों को भुगतान किए गए 1.66 करोड़ रुपये के जुर्माने का दावा, कथित रूप से भर्ती सेवाएं प्रदान करने वाले वेंडरों को कुल 7.6 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है। एक फर्निशिंग कंपनी को 1.85 करोड़ रुपये, 59.7 लाख रुपये तक के निजी खर्च का भुगतान और ट्वीट और अन्य बयानों के कारण कंपनी की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए 5 करोड़ रुपये का भुगतान।
फिनटेक कंपनी ने दावा किया कि राजस्थान की एक ट्रैवल कंपनी ने विदेश के लिए दो बार चालान बनाए थे, एक बार ग्रोवर और उनकी पत्नी के लिए और दूसरी बार उनके बच्चों के लिए। परिवार ने विदेश यात्रा के लिए कंपनी के फंड का भी इस्तेमाल किया।
मुकदमे में आगे दावा किया गया कि ग्रोवर्स ने कंपनी के फंड का इस्तेमाल अपने पॉश डुप्लेक्स और घरेलू उपकरणों के किराए और सुरक्षा जमा का भुगतान करने के लिए भी किया। डुप्लेक्स को पहले ग्रोवर्स ने कंपनी के गेस्ट हाउस के रूप में अपने कब्जे में ले लिया था, लेकिन आखिरकार वे वहां रहने लगे।
भारतपे ने ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्यों की संपत्ति का खुलासा करने और फिनटेक कंपनी, इसके निदेशकों, कर्मचारियों के बारे में मानहानिकारक/अपमानजनक बयान देने और/या इसे प्रचारित करने से रोकने के लिए एक अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग करते हुए एक अंतरिम राहत आवेदन दायर किया है।
आवेदन प्रतिवादियों को कंपनी के खिलाफ किए गए सभी बयानों, ट्वीट्स, सोशल मीडिया पोस्ट, किताबों, री-ट्वीट, हैशटैग, वीडियो, प्रेस कॉन्फ्रेंस, साक्षात्कार, टिप्पणियों आदि को पांच दिनों की अवधि के भीतर हटाने का निर्देश भी मांगता है। भारतपे को ऐसी सभी सामग्री हटाने की मांग करने के लिए सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, मीडिया संगठनों, प्रकाशनों, वेबसाइटों, ब्लॉग आदि से संपर्क करने की स्वतंत्रता देने का आदेश दिया गया है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने ग्रोवर और उनकी पत्नी माधुरी जैन और अन्य को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।
फंड की हेराफेरी के आरोप में ग्रोवर और उनकी पत्नी को कंपनी से बर्खास्त किए जाने के महीनों बाद भारतपे ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
ग्रोवर ने भारतपे की जांच को अवैध बताते हुए सिंगापुर इंटरनेशनल आर्ब्रिटेशन सेंटर के समक्ष मध्यस्थता शुरू की थी और कुछ दिनों बाद कंपनी से बर्खास्त कर दिया गया था।
भारतपे के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा उनकी बर्खास्तगी के बाद पोस्ट किए गए अदालती ट्वीट दिखाए। ग्रोवर के वकील ने दावा किया कि वाद उनके मुवक्किल को तामील नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति चावला ने मामले को जनवरी 2023 के लिए सूचीबद्ध किया है।
–आईएएनएस
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