नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। भलस्वा लैंडफिल साइट के पास स्थित डेरी फार्मिंग को दिल्ली हाई कोर्ट ने तुरंत दूसरे जगह ले जाने के आदेश दिए हैं। इसके साथ-साथ गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास मौजूद डेयरी को भी हटाने का निर्देश जारी किया गया है।
दरअसल, भलस्वा लैंडफिल साइट के पास स्थित डेयरी का दूध पीने लायक नहीं है। पॉल्यूशन से चलते यहां रहने वाले पशु के साथ-साथ डेयरी का दूध पीने वाले लोगों को नुकसान हो रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट का कहना है कि जिन जगहों पर प्रॉपर सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम, बायोगैस आदि की सुविधा नहीं है, वहां डेयरी नहीं होनी चाहिए।
भलस्वा इलाके में डेयरी चलाने वाले लोगों से आईएएनएस ने बातचीत की। इस दौरान लोगों ने बताया कि इलाके में अब 10 फीसदी ही डेयरी बची है। अन्य जगहों पर रिहायशी इलाके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हाईकोर्ट को जो रिपोर्ट दी गई, वह खुले में घूम रही गायों को देखकर दी गई है।
वहीं, दूसरी तरफ पशुपालन और डेयरी से जुड़े लोगों का कहना है कि वह गाय के चारे और उनके रहने का इंतजाम अपनी जगह पर करें, जिससे उनकी गायें लैंडफिल्स साइट के आसपास घूमती हुई नजर नहीं आएंगी।
–आईएएनएस
पीएसके/एबीएम
नई दिल्ली, 5 मई (आईएएनएस)। भलस्वा लैंडफिल साइट के पास स्थित डेरी फार्मिंग को दिल्ली हाई कोर्ट ने तुरंत दूसरे जगह ले जाने के आदेश दिए हैं। इसके साथ-साथ गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास मौजूद डेयरी को भी हटाने का निर्देश जारी किया गया है।
दरअसल, भलस्वा लैंडफिल साइट के पास स्थित डेयरी का दूध पीने लायक नहीं है। पॉल्यूशन से चलते यहां रहने वाले पशु के साथ-साथ डेयरी का दूध पीने वाले लोगों को नुकसान हो रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट का कहना है कि जिन जगहों पर प्रॉपर सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम, बायोगैस आदि की सुविधा नहीं है, वहां डेयरी नहीं होनी चाहिए।
भलस्वा इलाके में डेयरी चलाने वाले लोगों से आईएएनएस ने बातचीत की। इस दौरान लोगों ने बताया कि इलाके में अब 10 फीसदी ही डेयरी बची है। अन्य जगहों पर रिहायशी इलाके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हाईकोर्ट को जो रिपोर्ट दी गई, वह खुले में घूम रही गायों को देखकर दी गई है।
वहीं, दूसरी तरफ पशुपालन और डेयरी से जुड़े लोगों का कहना है कि वह गाय के चारे और उनके रहने का इंतजाम अपनी जगह पर करें, जिससे उनकी गायें लैंडफिल्स साइट के आसपास घूमती हुई नजर नहीं आएंगी।
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