नई दिल्ली, 28 नवंबर(आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट में ‘आयुष्मान भारत योजना’ को लेकर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
बता दें कि आयुष्मान भारत योजना गरीब लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत लोग सालाना 5 लाख रुपए का मुफ्त में इलाज करा सकते हैं। इस योजना का विस्तार किया गया है। जिसके तहत अब 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। लेकिन, दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार इस योजना को लागू नहीं करना चाहती है। दिल्ली सरकार का कहना है कि इस योजना के बदले दिल्ली के अस्पतालों में लोगों को बेहतर इलाज दिया जा रहा है।
जिसकी वजह से दिल्ली के लोग आयुष्मान भारत योजना का लाभ लेने से वंचित हैं। इसे लेकर भाजपा के सभी सात सांसदों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि दिल्ली के सभी सात सांसदों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई लोक कल्याणकारी योजना आयुष्मान भारत योजना प्रत्येक लाभार्थी परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये के स्वास्थ्य कवर के साथ मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करती है। 29 अक्टूबर 2024 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का आयाम काफी बढ़ा दिया है। अब इस योजना में 70 साल से अधिक बुजुर्गों को भी शामिल किया गया है। हालांकि, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने अरविंद केजरीवाल की विभाजनकारी राजनीति के कारण इस योजना को लागू नहीं किया है।
दिल्ली के सात सांसद कोर्ट गए। आज इस बात का संज्ञान कोर्ट ने लिया। केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को 47 करोड़ रुपये सालाना देने के लिए तैयार है। अब इस मामले में 11 दिसंबर को सुनवाई होगी।
बांसुरी स्वराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार की जिद और राजनीतिक स्वार्थ ने राजधानी के नागरिकों को विश्व की सबसे बड़ी जनकल्याणकारी योजना आयुष्मान भारत योजना से वंचित किया हुआ है। यहां तक कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस पर कड़ी फटकार लगाते हुए टिप्पणी की कि 5 लाख रुपए तक की स्वास्थ्य बीमा योजना को ठुकराना जनता के साथ अन्याय है। दिल्ली सरकार की प्राथमिकता जनता का भला नहीं, बल्कि अपना स्वार्थी राजनीतिक एजेंडा है। दिल्ली की जनता को आखिर उनका हक कब मिलेगा।
–आईएएनएस
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