नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक और सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को अस्पताल के एक सुरक्षा गार्ड की विधवा को 50 लाख रुपये का मुआवजा जारी करने का निर्देश दिया है। कोविड-19 महामारी के दौरान ड्यूटी करने के दौरान सुरक्षा गार्ड की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने फैसला सुनाया कि विधवा केंद्र सरकार द्वारा घोषित ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज: कोविड -19 से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा योजना’ के लाभों की हकदार है।
अदालत ने मुआवजा देने में सरकार की अनिच्छा की आलोचना करते हुए कहा कि संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाना उस योजना की भावना के खिलाफ है, जिसका उद्देश्य उन लोगों के परिवारों को तत्काल राहत प्रदान करना है जो महामारी से प्रभावित लोगों की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।
अदालत ने कहा कि मृतक सहित सुरक्षा गार्डों और पैरामेडिकल स्टाफ ने कोविड-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने अस्पताल की सुरक्षा सुनिश्चित की और मरीजों को उचित केंद्रों तक निर्देशित किया, जिससे वे सीधे तौर पर कोविड-19 रोगियों को संभालने में शामिल हो गए।
विधवा ने केंद्र सरकार की योजना और दिल्ली सरकार की एक करोड़ रुपये की अनुग्रह मुआवजे की योजना के तहत लाभ की मांग की थी।
हालांकि दिल्ली सरकार ने शुरू में ही अपनी योजना के दायरे को सीमित कर दिया था, अदालत ने 27 जुलाई 2020 के एक परिपत्र को स्वीकार कर लिया, जिसमें एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि के लिए प्रशासनिक विभागों को आवश्यक दस्तावेजों के साथ उन व्यक्तियों के नाम प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई थी, जिन्होंने कोविड -19 के कारण ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवा दी।
अदालत ने सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को संबंधित दस्तावेज दिल्ली सरकार को सौंपने का निर्देश दिया और सरकार से ड्यूटी के दौरान मृतक के बलिदान को देखते हुए मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आग्रह किया।
–आईएएनएस
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