लखनऊ, 9 जुलाई (आईएएनएस)। दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर) में बाघों की मौत के कारणों का मूल्यांकन करने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
चार सदस्यीय समिति ने भविष्य में ऐसी मौतों को रोकने के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं।
मौतों की सूचना मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के वन मंत्री अरुण सक्सेना डीटीआर पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि बिग कैट्स की निगरानी और गश्त में खामियां मुख्य रूप से देखी गई हैं, जिसके कारण ऐसी घटनाएं हुईं।
इस साल 21 अप्रैल से 9 जून के बीच चार बाघों की मौत की सूचना मिली थी, जिसके बाद मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक समिति गठित की थी।
जांच के दौरान विशेषज्ञों को कोई गड़बड़ी नजर नहीं आई है।
एक वरिष्ठ वन अधिकारी के मुताबिक, “समिति का कहना है कि वन रक्षकों के 70 फीसदी स्वीकृत पद खाली हैं जबकि वनपालों के भी 50 फीसदी पद खाली हैं।”
निगरानी में खामियों को इस तथ्य से जोड़ा जा रहा है कि जिन बाघों की चोटों के कारण मौत हुई, उनमें से एक की मौत मैलानी रेंज में किसी बिग कैट के साथ लड़ाई के परिणामस्वरूप होने का संदेह था।
कीड़ों से संक्रमित, क्षत-विक्षत शव डीटीआर के एक हिस्से, किशनपुर अभयारण्य के मैलानी रेंज में कुकरगढ़ा ताल (जल-कुंड) से बरामद किया गया था।
नवीनतम बाघ दुर्घटना की सूचना 9 जून को दी गई थी। इससे पहले 3 जून को दो वर्षीय बाघिन की, 31 मई को चार वर्षीय बाघ की और 21 अप्रैल को दो वर्षीय बाघ की मृत्यु हो गई। आपसी संघर्ष से दक्षिण खीरी वन प्रभाग में एक खेत में एक तेंदुए की भी मृत्यु हो गई।
–आईएएनएस
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