दुबई, 10 अगस्त (आईएएनएस)। दुबई की एक अदालत ने भारत और पाकिस्तान के पांच लोगों के एक समूह की शीघ्र रिहाई की अपील खारिज कर दी है, जिन्हें 17 साल से अधिक समय पहले हुई एक सुरक्षा गार्ड की हत्या का दोषी ठहराया गया था।
द नेशनल अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, इन लोगों को जनवरी 2006 में जेबेल अली में एक निर्माण स्थल पर गार्ड की हत्या का दोषी पाया गया था और 2007 में दुबई कोर्ट ऑफ अपील ने उन्हें 25 साल की आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पहले ही 15 साल जेल में काट चुके इन पांचों दोषियों ने सोमवार को दुबई कोर्ट ऑफ अपील में समय से पहले रिहाई की गुहार लगाई थी।
पांचों पाकिस्तानी-भारतीय उस 10-सदस्यीय गिरोह का हिस्सा थे, जो जनवरी 2006 में 3,300 दिरहम मूल्य की 100 मीटर केबल चुराने के लिए निर्माण स्थल में घुसे थे।
पांचों ने साइट में तोड़-फोड़ की, केबल चुरा ली। इस दौरान उन्होंने सुरक्षा गार्ड पर हमला किया और उसका गला घोंट दिया।
उनके अन्य साथियों की पहचान ड्राइवर, निगरानी करने वाले दो लोगों और निर्माण स्थल तोड़ने में मदद करने वाले दो लोगों के रूप में हुई है।
इसके बाद लुटेरों ने चोरी की गई केबल को एक वाहन में लाद लिया और शारजाह चले गए जहां उन्होंने इसे बेच दिया और पैसे आपस में बांट लिए।
गार्ड, जिसकी उम्र और राष्ट्रीयता का खुलासा नहीं किया गया था, ने लुटेरों का सामना करने की कोशिश की थी।
उसका शव अगली सुबह उसके भाई को मिला, जिसने दुबई पुलिस को मामले की सूचना दी।
आठ लोगों को स्थानीय स्तर पर पकड़ लिया गया, जबकि दो ओमान भाग गए थे।
द नेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें ओमानी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया और संयुक्त अरब अमीरात को प्रत्यर्पित कर दिया।
दुबई क्रिमिनल कोर्ट ने 2007 के एक फैसले में पांच लोगों को हत्या के लिए 10 साल की कैद और उसके बाद निर्वासन की सजा सुनाई।
उनके पांच सहयोगियों को निर्वासन के साथ आधी सजा मिली।
हालाँकि, दुबई कोर्ट ऑफ अपील ने उस वर्ष बाद में सजाओं को संशोधित किया, जिसमें प्राथमिक दोषियों को आजीवन कारावास की सजा मिली, जो कि 25 वर्ष है।
उनके साथियों की सज़ा दोगुनी करके 10 साल कर दी गई।
–आईएएनएस
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