कोलकाता, 18 सितंबर (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट में सोमवार को राज्य में 40,000 सामुदायिक दुर्गा पूजा समितियों में से हरेक को 70,000 रुपये का दान देने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए एक पीआईएल फाइल की गई है। ये याचिका चीफ जस्टिस टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य के बेंच के समक्ष फाइल की गई है।
खंडपीठ ने याचिका स्वीकार कर ली है और इस सप्ताह मामले में सुनवाई होनी है।
इस वर्ष मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूजा समितियों को राज्य सरकार का दान पिछले वर्ष के 60,000 रुपये से बढ़ाकर 70,000 रुपये करने की घोषणा की। यह सब्सिडी वाले बिजली बिल और विभिन्न राज्य सरकार के विभागों के विज्ञापनों के अतिरिक्त होगा।
दरअसल, इस साल 22 अगस्त को एक कार्यक्रम में बढ़े हुए दान के फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने खुद इस मामले को अदालत में घसीटे जाने की आशंका जताई थी। मुख्यमंत्री ने कहा, “कुछ तिलचट्टे हैं जो किसी भी छोटे मुद्दे पर अदालत जाने के लिए हमेशा मौके का इंतजार करते रहते हैं।”
उनकी आशंका सोमवार को इस मामले में दायर एक जनहित याचिका से सच साबित हुई। राज्य सरकार के दान की पहले ही तीखी आलोचना हो चुकी है। अर्थशास्त्रियों ने दावा किया है कि दान, बिजली सब्सिडी और राज्य सरकार के विज्ञापनों सहित 350 करोड़ रुपये का कुल खर्च चंद्रयान -3 अभियान की कुल लागत 615 करोड़ रुपये के 57 प्रतिशत के बराबर है।
हालांकि, इस संबंध में मुख्यमंत्री के अपने तर्क हैं। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कहा था, “दुर्गा पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं है। यह त्योहार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लाखों लोगों को आय प्रदान करने वाला एक बड़ा व्यावसायिक अवसर भी है। हर साल इस त्योहार पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा बाजार तैयार हो रहा है।”
–आईएएनएस
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