नई दिल्ली, 12 जुलाई (आईएएनएस)। भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की तरफ से फ्रॉड कॉल, फिशिंग कॉल (धोखाधड़ी करने वाले कॉल) और अन्य ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले तरीके को लेकर लगातार ग्राहकों को आगाह किया जाता रहा है। इसके बाद भी धोखाधड़ी की वारदातों में कमी नहीं आ रही है। ऐसे में संचार साथी नाम से एक कार्यक्रम दूरसंचार विभाग की तरफ से चलाया गया है।
भारत सरकार द्वारा सभी मोबाइल फोन उपभोक्ताओं को विशेष सुरक्षा प्रदान करने के लिए संचार साथी पोर्टल को लॉन्च किया गया है। इस पोर्टल की मदद से मोबाइल फोन उपयोगकर्ता अपने चोरी हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक करा सकते हैं, साथ ही फोन को ट्रैक भी किया जा सकता है।
ऐसे में अब जागरूक लोग इस एप का बेहतरीन इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसको लेकर भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की तरफ से आशीष डबास सहित कई लोगों को धन्यवाद दिया गया है कि उन्होंने समय रहते इस संचार साथी एप पर फोन नंबर के जरिए होने वाले बैंकिंग और अन्य फ्रॉड की सूचना दी।
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की तरफ से लिखा गया कि एक अच्छे मददगार नागरिक होने के लिए धन्यवाद, आपके द्वारा की गई रिपोर्ट की वजह से हमें कई फ्रॉड को रोकने में सफलता मिली। हमने आप लोगों के द्वारा संचार साथी के चक्षु पर की गई रिपोर्ट की मदद से आप लोगों के द्वारा दिए गए तीन नंबरों से जुड़े पूरे भारत में 42 आईईएमआई को ब्लॉक किया। इसके साथ ही 24,229 मोबाइल नंबरों को तत्काल निरस्त किया गया, जो इन 42 आईईएमआई से जुड़े हुए थे। ऐसे ही जागरूक उपभोक्ता बने रहें और चक्षु पर रिपोर्ट करते रहें।
बता दें कि संचार साथी के अंतर्गत यह चक्षु नागरिकों को साइबर अपराध, वित्तीय धोखाधड़ी, अन्य आपराधिक कॉल के साथ एसएमएस या व्हाट्सएप के माध्यम से किसी अन्य तरह के दुरुपयोग के लिए रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करता है। इस पर आप 30 दिनों के अंदर आए किसी भी तरह के धोखाधड़ी सहित अन्य कॉल की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। सरकार ने इस व्यवस्था को साइबर क्राइम की कमर तोड़ने के लिए जारी किया है। दूरसंचार विभाग ने संचार साथी पोर्टल के हिस्से के रूप में डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म और चक्षु को लॉन्च किया है।
चक्षु का इस्तेमाल मोबाइल फोन उपभोक्ता संदिग्ध धोखाधड़ी वाले कॉल की रिपोर्ट करने के लिए कर सकते हैं। इसके जरिए यूजर नंबर, मैसेज और फिशिंग अटेम्प्ट्स के बारे में रिपोर्ट की जा सकती है। वहीं, डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बैंकों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वॉलेट ऑपरेटरों के बीच साइबर क्रिमिनल डेटा साझा करने में समर्थ बनाने का एक प्रयास है, ताकि ऐसी धोखाधड़ी को रोका जा सके।
–आईएएनएस
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