मुंबई, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। बंगाली सिनेमा के सुपरस्टार प्रोसेनजीत चटर्जी को हाल ही में फिल्म ‘देवी चौधुरानी’ में देखा गया था। इस फिल्म में उन्होंने एक स्वतंत्रता सेनानी का किरदार निभाया था।
प्रोसेनजीत ने आईएएनएस से खास बातचीत में अपने किरदार के बारे में विस्तार से बात की। प्रोसेनजीत ने बताया कि उन्होंने कैसी तैयारियां की और किरदार को निभाने में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
फिल्म में प्रोसेनजीत के किरदार का नाम भवानी पाठक है। वह संत भी हैं और एक स्वतंत्रता सेनानी भी। दोनों किरदारों के द्वंद को उन्होंने कैसे संभाला, इस इंटरव्यू में उन्होंने यह भी साझा किया।
प्रोसेनजीत चटर्जी ने आईएएनएस से कहा, “ऐसे किरदारों को निभाने के लिए मुझे एक खास प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसे मैं नियमित रूप से अपनाता हूं। रोजमर्रा की जिंदगी में मैं अपने इतिहास के ज्ञान को बढ़ाने में जुटा रहता हूं। इसके साथ ही मैं उस खास युग से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी काम करता हूं, ताकि इतिहास के साथ-साथ समाज, संस्कृति और जंगलों में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को भी समझ सकूं।”
उन्होंने आगे बताया, “भवानी पाठक गुरिल्ला युद्ध की कला में पारंगत थे। ब्रिटिश राज में हमेशा बहुत सारे सैनिक और हथियार होते थे। इन लोगों के पास सेना नहीं थी। उनके पास बहुत कम लोग थे। वे सिखाते थे कि यह गुरिल्ला लड़ाई उन पर कैसे असर डाल सकती है। ये सभी किरदार मेरे लिए बहुत दिलचस्प थे, एक अभिनेता के तौर पर इन्हें जानना और निभाना एक सामान्य बात होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “भवानी पाठक एक अत्यंत शिक्षित व्यक्तित्व थे, जो संस्कृत में संवाद करते और अपनी बातें बंगाली में व्यक्त करते थे। उन्हें अंग्रेजी और फ्रेंच भाषाओं का भी गहरा ज्ञान था, जो उनकी विद्वता को दर्शाता है। फिर भी, इस किरदार में नैतिकता की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। फिल्म की शुरुआत उस पल से होती है, जब अंग्रेज उनके नाम ‘भवानी पाठक’ सुनकर ही कांप उठते हैं।”
फिल्म ‘देवी चौधुरानी’ बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास पर आधारित है।
–आईएएनएस
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