नई दिल्ली, 9 जुलाई (आईएएनएस)। उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले के इच्छुक छात्र अब यदि अपना दाखिला स्वयं ही कैंसिल कराते हैं तो ऐसी स्थिति में भी उनकी फीस वापस मिल जाएगी। देश भर के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को इस बाबत स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। सरकार द्वारा जारी किए गए इन निर्देशों में कहा गया है कि दाखिला रद्द करवाने पर छात्रों को उनकी फीस वापस लौटाने ही पड़ेगी।
दरअसल ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब छात्रों ने एक संस्थान में फीस जमा कराई, लेकिन सेशन लेट होने या फिर किसी अन्य कारणों से जब छात्रों ने दूसरे संस्थानों में दाखिला लिया तो उन्हें पुराने संस्थान ने फीस वापस नहीं लौटाई।
नोएडा के एक्यूरेट इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी में बी फार्मा के लिए आवेदन करने वाली एक छात्रा ने बताया कि बीते वर्ष सितंबर में उन्होंने यहां दाखिला लिया। लेकिन सत्र शुरु न होने की स्थिति में छात्रा ने अपना दाखिला रद्द करवा के किसी दूसरे शिक्षण संस्थान में दाखिला लिया।
दाखिला रद्द करवाने के साथ ही छात्रा ने फीस वापसी के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन 10 महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद संस्थान ने छात्रा द्वारा अदा की गई 80 हजार रुपए से अधिक की फीस नहीं लौटाई।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने अब शिक्षण संस्थानों को फीस वापस करने का निर्देश जारी किया है। कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के लिए जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि जो छात्र अपना दाखिला एक जगह से रद्द कराकर दूसरी जगह एडमिशन लेना चाहते हैं उन्हें उनकी पूरी फीस लौटाई जाए।
यदि छात्र एडमिशन रद्द कराने की सूचना देने में विलंब करते हैं तो ऐसी स्थिति में कॉलेज या विश्वविद्यालय केवल एक छोटा एमाउंट प्रोसेसिंग फीस के नाम पर काट सकते हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मौजूदा शैक्षणिक सत्र यानी वर्ष 2023-24 के लिए यह फीस रिफंड पॉलिसी तैयार की है की है। आयोग द्वारा तैयार की गई छात्र फ्रेंडली इस पॉलिसी में सभी देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को फीस वापसी के संदर्भ में सख्त हिदायत दी गई है।
यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों व कॉलेजों से कहा गया है कि जो छात्र एक शिक्षण संस्थान से अपना दाखिला रद्द करवाने के उपरांत किसी दूसरे शिक्षण संस्थान में दाखिला लेना चाहे तो तुरंत प्रभाव से उसकी फीस वापस की जाए।
यूजीसी द्वारा तय किए गए नियमों के मुताबिक यदि कोई छात्र 30 सितंबर तक अपना एडमिशन कैंसल या वापस करता है तो उसके द्वारा भुगतान की गई पूरी फीस संबंधित शिक्षण संस्थान छात्र को वापस करेगा।
हालांकि ऐसा नहीं है कि 30 सितंबर के बाद फीस वापसी को लेकर छात्रों के पास कोई विकल्प शेष नहीं रहेगा। यूजीसी ने इसके लिए भी प्रावधान किया है।
आयोग का कहना है कि यदि किन्हीं कारणों से छात्र समय रहते अपना दाखिला रद्द नहीं करवा सके या फिर फीस वापसी के लिए आवेदन नहीं कर सके तो यह प्रक्रिया 31 अक्टूबर तक भी की जा सकती है।
30 सितंबर के बाद 31 अक्टूबर तक अपना दाखिला रद्द करवाने पर छात्रों को एक निश्चित प्रोसेसिंग फीस का भुगतान करना होगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का कहना है कि विश्वविद्यालय या कॉलेज प्रोसेसिंग फीस के नाम पर अधिकतम केवल एक हजार रुपये ही काटे सकते हैं। यह प्रोसेसिंग फीस काटने के उपरांत शिक्षण संस्थानों के लिए अनिवार्य होगा कि वह छात्रों की शेष फीस उन्हें वापस लौटएं।
हालांकि ऐसा भी देखने में आया है कि कई प्राइवेट शिक्षण संस्थान दाखिला रद्द करवाने की स्थिति में फीस लौटाने में आनाकानी करते हैं। यूजीसी का कहना है कि अगर कोई यूनिवर्सिटी फीस वापस करने से इनकार करती है तो छात्र इसकी शिकायत कर सकते हैं।
इसके लिए यूजीसी ने ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली बनाई है। छात्र यूजीसी द्वारा बनाई गई वेबसाइट ‘समाधान’ वेबसाइट पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
इस नए नियम को लेकर यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एवं जगदीश कुमार का कहना है कि इस पॉलिसी का संपूर्ण उद्देश्य छात्र छात्रों को आर्थिक नुकसान से बचाना है।
छात्रों को फीस वापस मिलने पर वह बिना किसी आर्थिक नुकसान के एक संस्थान से दूसरे संस्थान में अपनी पसंद के पाठ्यक्रम चुन सकेंगे।
–आईएएनएस
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