नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। तेज आर्थिक विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए सुधारों को लागू करने की आवश्यकता है, जिससे वह दक्षता और कम लागत के साथ ऑपरेट कर सकें। यह जानकारी शुक्रवार को जारी हुए आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में दी गई।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया कि अधिक नियामक बोझ चुनौती बना हुआ है। इसे कम करने की आवश्यकता है। सरकारें व्यवसायों को अधिक कुशल बनने, लागत कम करने और विकास के नए अवसर खोलने में मदद कर सकती हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में आगे कहा गया, “विनियमन बढ़ने से सभी फर्मों की ऑपरेशनल लागत बढ़ जाती है।”
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, “सरकार ने एमएसएमई के विकास को समर्थन और बढ़ावा देने के लिए पिछले दशक में कई नीतियों और पहलों को लागू किया है। हालांकि, नियामक वातावरण में कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं।”
विनियामक अनुपालन बोझ, औपचारिकता और श्रम उत्पादकता को रोकता है। साथ ही रोजगार वृद्धि को सीमित करता है और इनोवेशन और विकास को भी रोकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि भारत में कंपनियों की प्रवृत्ति छोटे रहने की देखी गई है।
केंद्र सरकार ने प्रक्रिया और शासन सुधारों को लागू करके, कराधान कानूनों को सरल बनाकर, श्रम नियमों को तर्कसंगत बनाकर और व्यापार कानूनों को अपराधमुक्त करके डीरेगुलेशन किया है।
सर्वेक्षण में आगे कहा, “दूसरी तरफ राज्यों की ओर से अनुपालन बोझ को कम करके और प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटलीकरण करके डीरेगुलेशन में भाग लिया है।”
सर्वेक्षण में कहा गया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 एक राज्य सरकार के नेतृत्व वाली पहल होनी चाहिए जो व्यवसाय करने में असुविधा के पीछे के मूल कारणों को ठीक करने पर केंद्रित हो।
–आईएएनएस
एबीएस/