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देश के वर्कफोर्स में तेजी से बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी : केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे

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November 29, 2024
in अर्थजगत
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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। बीते कुछ वर्षों में भारत में वर्कफोर्स को लेकर महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में दी। उन्‍होंने बताया क‍ि देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में पिछले छह वर्षों में तेजी आई है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

–आईएएनएस

एसकेटी/सीबीटी

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। बीते कुछ वर्षों में भारत में वर्कफोर्स को लेकर महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में दी। उन्‍होंने बताया क‍ि देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में पिछले छह वर्षों में तेजी आई है।

महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। बीते कुछ वर्षों में भारत में वर्कफोर्स को लेकर महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में दी। उन्‍होंने बताया क‍ि देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में पिछले छह वर्षों में तेजी आई है।

महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

–आईएएनएस

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। बीते कुछ वर्षों में भारत में वर्कफोर्स को लेकर महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में दी। उन्‍होंने बताया क‍ि देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में पिछले छह वर्षों में तेजी आई है।

महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। बीते कुछ वर्षों में भारत में वर्कफोर्स को लेकर महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में दी। उन्‍होंने बताया क‍ि देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में पिछले छह वर्षों में तेजी आई है।

महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। बीते कुछ वर्षों में भारत में वर्कफोर्स को लेकर महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में दी। उन्‍होंने बताया क‍ि देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में पिछले छह वर्षों में तेजी आई है।

महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। बीते कुछ वर्षों में भारत में वर्कफोर्स को लेकर महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने हाल ही में दी। उन्‍होंने बताया क‍ि देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में पिछले छह वर्षों में तेजी आई है।

महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22 प्रतिशत और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3 प्रतिशत थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ रोजगार की क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर कई पहल शुरू की हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं। इनमें मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को पेश कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बजट में भी उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल स्थापित करने और कार्यबल में महिलाओं को भागीदारी बढ़ाने के लिए क्रेच को लेकर घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है।

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