नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। बड़े शहरों में भले ही बड़ी संख्या में निजी स्कूल खुल गए हों लेकिन देश के 70 प्रतिशत स्कूल आज भी सरकारी हैं जिनमें कुल छात्रों में 50 फीसदी शिक्षा ग्रहण करते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में बताया गया है कि स्कूली शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत देश के 14.72 लाख स्कूलों में 98 लाख शिक्षक 24.8 करोड़ छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं। इसमें बताया गया है कि 69 प्रतिशत विद्यालय सरकारी हैं, जिनमें 50 प्रतिशत विद्यार्थी नामांकित हैं और 51 प्रतिशत शिक्षक कार्यरत हैं। वहीं, 22.5 प्रतिशत निजी विद्यालयों में 32.6 प्रतिशत छात्र नामांकित हैं जहां 38 प्रतिशत शिक्षक कार्यरत हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का लक्ष्य 2030 तक स्कूलों में छात्रों का 100 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) हासिल करना है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राथमिक स्तर पर 93 प्रतिशत जीईआर है। माध्यमिक स्तर पर यह अनुपात 77.4 प्रतिशत एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 56.2 प्रतिशत है। इस अंतर को पाटने के प्रयास जारी हैं।
इसमें कहा गया है कि कि हाल के वर्षों में स्कूली शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। प्राथमिक स्तर पर यह दर 1.9 प्रतिशत, उच्च प्राथमिक स्तर पर 5.2 प्रतिशत तथा माध्यमिक स्तर पर 14.1 प्रतिशत है।
स्वच्छता और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) की उपलब्धता सहित शिक्षा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। यह विद्यालयों की बुनियादी सुविधाओं के विकास में सकारात्मक प्रवृत्ति को दर्शाता है। यूडीआईएसई 2023-24 रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि कम्प्यूटर की सुविधा वाले विद्यालयों की संख्या 2019-20 के 38.5 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 57.2 प्रतिशत हो गई। इसी तरह इंटरनेट की सुविधा वाले विद्यालयों की संख्या वर्ष 2019-20 के 22.3 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 53.9 प्रतिशत हो गई।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, सरकार समग्र शिक्षा अभियान और इसके तहत शुरू की गई ‘निष्ठा’, ‘विद्या प्रवेश’, ‘जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट)’, ‘कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी)’ जैसी पहलों, और ‘दीक्षा’, ‘स्टार्स’, ‘परख’, ‘पीएम श्री’, ‘उल्लास’ और ‘पीएम पोषण’ जैसी कार्यक्रमों तथा योजनाओं के माध्यम से एनईपी 2020 के उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास कर रही है।
इसमें प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा परिदृश्य को मजबूत बनाने के लिए प्रयास का उल्लेख है। सरकार ने अप्रैल 2024 में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम, ‘आधारशिला’ और प्रारंभिक बाल्यावस्था प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा ‘नवचेतना’ आरंभ की है। ‘नवचेतना’ जन्म से तीन साल तक की आयु के बच्चों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करती है, जो 36 महीने के प्रोत्साहन कैलेंडर के जरिए 140 विभिन्न आयु-विशिष्ट गतिविधियों की पेशकश करती है। ‘आधारशिला’ तीन से छह साल तक की आयु के बच्चों के लिए शिशु केंद्रित और शिक्षक केन्द्रित शिक्षा का समर्थन करते हुए 130 से अधिक गतिविधियों के साथ खेल आधारित अधिगम को बढ़ावा देती है।
–आईएएनएस
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