नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश में चार करोड़ से अधिक छात्रों को अंगदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इनमें फिलहाल केवल उच्च शिक्षा यानि की कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी शामिल हैं। इस महत्वपूर्ण मुहिम में 18 से 30 वर्ष तक आयु वर्ग के छात्रों को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए विशेषज्ञ बताते हैं कि रोगियों के मुकाबले अंगदान करने वाले व्यक्तियों की संख्या 10 प्रतिशत भी नहीं है। इसका सीधा-सीधा अर्थ यह है कि भारत में 90 प्रतिशत से अधिक रोगी अंगों के प्रत्यारोपण की कमी के कारण मर जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में ये छात्र न केवल स्वयं बल्कि अपने घर, रिश्तेदारों, दोस्तों व पास-पड़ोस के लोगों में अंगदान को लेकर व्याप्त भ्रांतियां दूर कर सकते हैं। यूजीसी ने इस मुद्दे पर देशभर के सभी विश्वविद्यालयों को एक आधिकारिक पत्र लिखा है। टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन और यूजीसी इंडिया द्वारा एक विशेष अभियान, ‘ऑनलाइन अंग दान प्रतिज्ञा’ देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अंग दान के लिए प्रेरित करेगी।
यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि हमारे देश में जरूरतमंद व्यक्तियों की तुलना में अंगदान करने वाले व्यक्तियों और उपलब्ध अंगों की भारी कमी है।
उन्होंने कहा कि हमारे समाज में अंगदान को सबसे बड़ा दान माना गया है। बावजूद इसके अंगदान की कमी के कारण कई मरीज जीवित नहीं रह पाते।
चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसी कई रिपोर्ट्स हैं जो बताती हैं कि भारत में हर साल दो लाख रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 12,000 किडनी दाता ही सामने आते हैं। लीवर ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में भी यही स्थिति है। हर साल जहां लगभग 50 हजार लीवर रोगियों को लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, वहीं 4000 से भी कम लीवर ट्रांसप्लांट के लिए उपलब्ध हो पाते हैं।
अगर हार्ट पेशेंट की बात की जाए तो भारत में बड़ी संख्या में लोगों को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। विशेषज्ञों के मुताबिक 50 हजार से भी अधिक हार्ट पेशेंट में से केवल 200-250 रोगियों का ही हार्ट ट्रांसप्लांट हो पता है। अंगदान की भारी कमी को देखते हुए ही अब यूजीसी ने देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में 18 से 30 आयु वर्ग के छात्रों के माध्यम से जागरूकता फैलाकर अंगदान की कमी को दूर करने का फैसला लिया है।
यूजीसी चेयरमैन का कहना है कि देश भर के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों, कॉलेज, विश्वविद्यालयों के छात्रों से अंगदान की शपथ के साथ इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने की अपील की जा रही है।
यूजीसी का मानना है कि उनके इस अभियान से उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले चार करोड़ से अधिक छात्र इस महत्वपूर्ण अंगदान अभियान के रोल मॉडल बनेंगे। युवा अंगदान की शपथ के साथ आम लोगों को जोड़ने और उनकी भ्रांतियां दूर करने में मदद करेंगे।
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अंगदान की शपथ को लेकर पत्र लिखा है। अंगदान के विषय को युवाओं और जन-जन तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय से सेमिनार, वर्कशाप के माध्यम से छात्रों को अंगदान की नैतिक चिकित्सा, सामाजिक आयामों की जानकारी देने को कहा गया है।
वरिष्ठ सर्जन डॉ पीएन सहाय के मुताबिक एक सामान्य स्वस्थ एक व्यक्ति, अपनी मृत्यु के उपरांत अंगदान के जरिए 8 व्यक्तियों का जीवन बचा सकता है। डॉ सहाय के मुताबिक मृत्यु के उपरांत किसी व्यक्ति के गुर्दे, यकृत, फेफड़े, हृदय, अग्न्याशय और आंत के अंगदान से आठ गंभीर रोगियों को उपचार और नया जीवन मिल सकता है।
डीआर कनिका चतुर्वेदी का कहना है कि इन महत्वपूर्ण अंगों के अलावा कॉर्निया, त्वचा, हड्डी जैसे ऊत्तकों को भी दान किया जा सकता है जिससे कई गंभीर रोगियों का जीवन संवर सकता है।
–आईएएनएस
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