नई दिल्ली, 16 जून (आईएएनएस)। आज भारत का निरंतर बढ़ रहा रक्षा उद्योग न केवल घरेलू जरूरतों पूूरा कर रहा, बल्कि मित्र देशों की सुरक्षा आवश्यकताओं की भी पूर्ति कर रहा है। पिछले वित्त वर्ष में हमारा रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया और निर्यात 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह इस बात का प्रमाण है कि रक्षा क्षेत्र और राष्ट्र सही मार्ग पर अग्रसर है। शुक्रवार रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यह जानकारी दी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 16 जून को रक्षा मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक के दौरान, संसद के दोनों सदनों की समिति के सदस्यों को रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा में आत्मनिर्भरता अर्जित करने के लिए की गई पहलों और उन निर्णयों के कारण अब तक हुई प्रगति के बारे में अवगत कराया गया।
रक्षा मंत्री ने देश की सुरक्षा बढ़ाने और सशस्त्र बलों को लगातार विकसित हो रहे वैश्विक परि²श्य से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकीय से उन्नत बनाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डाला। मांग आश्वासन को आत्मनिर्भरतासुनिश्चित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक बताते हुए, उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। इनमें पूंजीगत परिव्यय सहित रक्षा बजट में निरंतर वृद्धि, वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू उद्योग के लिए रक्षा पूंजी खरीद बजट के रिकॉर्ड 75 प्रतिशत का निर्धारण और सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी करना शामिल है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि विचारधारा चाहे जो भी हो, पूर्ण आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में हमेशा सभी पक्षों से सर्वसम्मति रही है। उन्होंने कहा कि अगर हम भारत को आयातक देश के बजाय रक्षा निर्यातक बनाना चाहते हैं तो हमें हर स्थिति में नेशन फस्र्ट के विचार के साथ एक साथ खड़ा होना चाहिए। तभी हम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे।
चर्चा के दौरान समिति के सदस्यों ने बहुमूल्य सुझाव दिए, जिनकी रक्षा मंत्री ने सराहना की। उन्होंने कहा कि सुझावों को शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने, बैठक में सचिव (भूतपूर्व सैनिक कल्याण) विजय कुमार सिंह और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत भी उपस्थित थे।
–आईएएनएस
जीसीबी/एफजेड