नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। सीवोटर द्वारा किए गए एक विशेष राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में लगभग दो-तिहाई उत्तरदाताओं ने विचार व्यक्त किया कि द्रमुक नेता और तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन पर सनातन धर्म पर उनके विवादास्पद बयानों के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
पिछले शनिवार को दिए अपने भाषण में उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मच्छर, मलेरिया, डेंगू और कोरोना से की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि जिस प्रकार उपरोक्त बीमारियों का सिर्फ विरोध करना पर्याप्त नहीं है बल्कि उन्हें जड़ से ख़त्म करना ही एक मात्र उपाय है, उसी प्रकार सनातन धर्म को भी ख़त्म करने की आवश्यकता है।
खुद को विपक्षी गुट का समर्थक बताने वाले करीब 55 फीसदी उत्तरदाता चाहते हैं कि द्रमुक नेता पर मुकदमा चलाया जाए। द्रमुक यूपीए का सदस्य रहा है और अब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष द्वारा गठित ‘इंडिया’ ब्लॉक का हिस्सा है।
भाजपा नीत राजग समर्थकों के मामले में हर पांच में से चार उत्तरदाता चाहते हैं कि उदयनिधि पर मुकदमा चलाया जाए।
सर्वेक्षण में 3,350 लोगों की राय ली गई थी।
कड़ी आलोचना और निंदा के बावजूद द्रमुक नेता ने इस बात पर जोर दिया है कि वह भविष्य में भी हिंदू धर्म पर अपनी विवादास्पद टिप्पणी दोहराएंगे। जहां इंडिया ब्लॉक के कई नेताओं ने खुद को टिप्पणियों से अलग कर लिया है, वहीं कुछ ने युवा द्रमुक नेता के रुख का समर्थन किया है।
उनकी टिप्पणियों की देश भर में व्यापक निंदा हुई है और कई लोगों ने जोर देकर कहा है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे ‘घृणास्पद भाषण’ में शामिल हो गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश दिया था कि नफरत फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई शिकायत न होने पर भी स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की जाए।
इसने अपने आदेशों का पालन नहीं करने पर अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी थी। वरिष्ठ न्यायाधीशों और नौकरशाहों के एक समूह ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ को औपचारिक पत्र लिखकर उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणियों पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है।
–आईएएनएस
एकेजे