जबलपुर. शहर की सडक़ों में नियम विरुद्व तरीके से धमाचौकड़ी मचा रहे ऑटो संचालन के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि अभी तक दो सौ किलो वजन की दो बोरे भरकर कागजी रिपोर्ट पेश कर दी गई है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले में नियम विरुद्व दौड़ रहे ऑटो पर सख्त कार्यवाही जारी रखने के निर्देश दिये है.
जबलपुर निवासी सतीश वर्मा की तरफ से दायर याचिका में नियम विरुद्व व बगैर परमिट दौड़ रहे ऑटों के संचालन को चुनौती दी गयी थी. आवेदक का कहना है कि यह समस्या जबलपुर ही नहीं दूसरे शहरों की भी है. ऐसा इसलिए क्योंकि परमिट की शर्तों के विपरीत मनमाने तरीके से आटो में ओवर लोडिंग की जाती है.
इस वजह से यातायात व्यवस्था चरमरा गई है. इतना ही नहीं दलील दी गई कि अब तक प्रशासन की ओर से दो बोरों में भरकर करीब दो सौ वजन की कागजी रिपोर्ट पेश कर दी गई है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. हाईकोर्ट ने उक्त दलील को बेहद गंभीरता से लेते हुए आटो रिक्शा प्रकरण में हस्तक्षेपकर्ता आटो विक्रेताओं व चालकों को कोई भी राहत देने से मना कर दिया. साथ ही राज्य शासन को आटो की धमाचौकड़ी व अवैध संचालन के विरुद्ध ठोस कार्रवाई जारी रखने के सख्त निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई दस दिसंबर को निर्धारित की है.