बेंगलुरू, 16 जून (आईएएनएस)। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के पिछली भाजपा सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को यहां विरोध प्रदर्शन करेगी।
विरोध शाम को फ्रीडम पार्क में होगा। विहिप ने इसमें सभी हिंदुओं से भाग लेने का आह्वान किया है।
संगठन ने सभी जिला इकाइयों से पूरे राज्य में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का भी आह्वान किया।
विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. एम.बी. पुराणिक ने कहा कि भारत एक हिंदू देश है और संविधान ने विभिन्न धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अनुमति दी है।
अन्य धर्मों के लोग अपने धर्म और रीति-रिवाजों का पालन कर सकते हैं और हम इसके लिए सहमत हैं और सवाल नहीं करते हैं। हम जबरन धर्म परिवर्तन के कृत्यों की निंदा करते हैं। भारत एक हिंदू देश है और कर्नाटक इसका एक हिस्सा है। प्रत्येक हिन्दू को धर्मांतरण से बचाना, हिन्दू धर्म के प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य है।
कांग्रेस सरकार मुख्य रूप से अन्य धर्मों के लोगों के साथ-साथ हिंदुओं द्वारा सत्ता में आई है। यह अल्पसंख्यक वोटों के कारण सत्ता में नहीं आई है। कांग्रेस का कदम सभी हिंदुओं के साथ एक बड़ा विश्वासघात है। कर्नाटक के हिंदुओं की मांग है कि प्रस्ताव वापस लेना चाहिए।
पुराणिक ने कहा, कांग्रेस सरकार केवल अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए वीर सावरकर जैसे राष्ट्रीय नेताओं पुस्तकों से हटा रही है। हम आशा करते हैं कि सरकार जनविरोधी फैसले लेना बंद करे और समाज में शांति भंग करने के लिए कदम उठाए।
राज्य सरकार ने गुरुवार को कानून में संशोधन की घोषणा की और कहा कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए सभी पहलुओं को हटा दिया जाएगा और जुलाई में होने वाले विधानसभा सत्र में संशोधन के लिए लिया जाएगा।
धर्मांतरण पर बीजेपी ने कड़ी शर्तें लगाई थी, इसने अपराध के लिए कड़ी सजा का भी प्रावधान किया था।
कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल ने बताया कि सरकार धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के कर्नाटक संरक्षण विधेयक, 2021 को रद्द कर देगी और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के कर्नाटक संरक्षण विधेयक, 2023 को पेश करेगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले विधेयक को निरस्त कर दिया गया है, मंत्री पाटिल ने कहा कि यह 2022 के संशोधन को पूर्ववत करना है। यह पिछली सरकार द्वारा कानून में किए गए परिवर्तनों को निरस्त करना है।
कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार द्वारा अधिनियमित सभी अधिनियमों को निरस्त करने का वादा किया था।
–आईएएनएस
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