अनूपपुर, देशबन्धु. आदिम जाति सेवा सहकारी समिति धनगवां में जहां हर दिन नया मोड़ सामने आ रहा है, जहां समिति के प्रभारी प्रबंधक सालिक राठौर द्वारा धोखाधड़ी अपने साला और साढू भाई की नियुक्ति में अपने आप को बचाने के पूरे प्रस्ताव में अपने हस्ताक्षर नही होने की बात कही गई, लेकिन 30 नवम्बर 2017 को प्रभारी प्रबंधक द्वारा प्रस्ताव लिखा गया और संचालक मंडल के बाद 7वें नंबर पर स्वयं प्रबंधक सालिक सिंह के नाम पर हस्ताक्षर किया गया है.
इतना ही नही प्रभारी प्रबंधक के साले दिनेश सिंह राठौर की तुलावटी पद पर नियुक्ति का आदेश 11 जनवरी 2010 को बताया गया, जबकि उस समय दिनेश सिंह की राठौर उनकी अंकसूची के अनुसार मात्र 15 वर्ष की थी, तो क्या 15 वर्ष की आयु में ही दिनेश सिंह को तुलावटी पद पर भर्ती किया गया था, जो जांच का विषय है. पूरे मामले में साफ है कि प्रभारी प्रबंधक सालिक सिंह राठौर द्वारा फर्जी दस्तावेजो, फर्जी प्रस्तावों से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है.
तुलावटी पद नही तो फिर कैसी पदोन्नति
पैक्स धनगवां के प्रभारी प्रबंधक सालिक राठौर द्वारा प्रस्ताव क्रमांक 11 में प्रस्ताव क्रमांक 2 में समिति में दुकान के संचालन हेतु तुलावटी के पदोन्नति पर विचार किए जाने का प्रस्ताव स्वयं के द्वारा लिखा गया, जबकि तुलावट पद ही सहकारित विभाग में नही है और ना ही पूरे मध्यप्रदेश में तुलावटी पद की कभी भर्ती हुई, जब पद नही तो पदोन्नति कैसे? प्रस्ताव में संस्था द्वारा 14 दुकानों के संचालन की बात कही गई.
लेकिन उन्होने तुलावटी जैसे पद की बात कहते हुए पांच लोग जिनमें विजय सिंह राठौर, महेन्द्र कुमार गुप्ता, दिनेश सिंह राठौर, पूरन लाल केवट, प्रदीप कुमार सानी का नाम शामिल किया और उसकी दिनांक को सिर्फ दो लोग अपने साले विजय सिंह राठौर और साढू भाई को नियुक्ति पत्र का आदेश भी थमा दिया गया. सबसे बड़ी बात पदोन्नति में महेन्द्र कुमार गुप्ता का एक नाम आया है, जबकि महेन्द्र कुमार गुप्ता वर्ष 2012 में ही सेल्समैन में भर्ती हो चुका था.
पीएमजीकेवाय खाद्यानन की राशि का गबन
पीएमजीकेवाय खाद्यानन के कमीशन राशि राशि 2 लाख 61 हजार 369 के गबन में कैशबुक में फर्जी आय-व्यय इंद्राज कर धोखाधड़ी करते हुए गबन का खुलासा हुआ है. जिसमें प्रभारी प्रबंधक ने अपने ऑपरेटर की त्रुटि को इसका कारण बताते हुए नवीन विक्रेताओं के खाते में राशि चला जाना बताया गया. जब इस पूरे मामले की जांच की गई तो तो एक चौंका देने वाला तथ्य सामने आया, जिसमें प्रभारी प्रबंधक सालिक राठौर का भ्रष्टाचार सामने आया है.
जिसे अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए जिस रेवन्यू टिकट लगी पावती से वसूली की बात कही गई, वहीं पावती बिना विक्रेताओं के हस्ताक्षर किए हुए मामला उजागर होने के बाद 9 सितम्बर 2024 को जबरन प्रभारी प्रबंधक ने सिर्फ विक्रेताओं से हस्ताक्षर कराकर अपने आप को बचाने का प्रयास किया गया, लेकिन इस पावती के बाहर निकलते ही उनके और उनके हमदर्द की बोलती बंद हो गई.
विक्रेता की भर्ती पर सुरक्षा निधि कहा और किसके पास
पैक्स धनगवां के प्रभारी प्रबंधक सालिक सिंह राठौर ने अपने रिश्तेदार दिनेश सिंह राठौर एवं विजय सिंह राठौर की विक्रेता के पद पर भर्ती तो कर दी, लेकिन सहकारिता नियम के अनुसार दोनो ही विक्रेता दिनेश राठौर एवं विजय सिंह राठौर की नियुक्ति के पूर्व जमा सुरक्षा निधि 1 लाख रूपए स्वयं ही डकार गये और उक्त सुरक्षा निधि को कोई जिक्र तक नही कर रहे है.
वहीं दिनेश सिंह राठौर की नियुक्ति के समय प्रस्तुत अंक सूची में कक्षा 10, वर्ष 2011 में नियमित छात्र के रूप में किया संलग्र किया है, जबकि उक्त अंकसूची जुलाई 2011 रोल नंबर 113622963 सेंटर कोड शासकीय हाई स्कूल गोरसी से सरिता देवी राठौर जो कि दिनेश राठौर की बहन के नाम से जारी थी, उक्त अंकसूची में छेड़छाड़ कर उसे अपने नाम से प्रस्तुत किया गया. जो सहकारिता में बड़ा सबसे बड़ा फर्जी वाड़ा है, जिसमें फर्जी दस्तावेज वा फर्जी प्रस्ताव को स्वयं लिखकर पूरी कहानी रची.