हैदराबाद, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयक जल्द ही पारित किए जाएंगे, जिससे देश में एक नई आपराधिक न्याय प्रणाली की शुरुआत होगी।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल के तीन कानूनों में संशोधन करने वाले विधेयक संसद में पेश किये गये हैं और गृह मामलों की स्थायी समिति उनकी जांच कर रही है।
हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए) में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 75वें आरआर बैच के प्रोबेशनर्स की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा, “उन्हें जल्द ही पारित किया जाएगा और यह नई आपराधिक न्याय प्रणाली की शुरुआत का प्रतीक होगा।”
उन्होंने कहा, “ब्रिटिश काल के कानूनों को निरस्त करके, भारत आत्मविश्वास, नई आशाओं और आकांक्षाओं के साथ एक नए युग में प्रवेश करेगा।”
उन्होंने कहा कि जहां ब्रिटिश काल के कानूनों का उद्देश्य प्रशासन की रक्षा करना था, वहीं नए कानून लोगों के अधिकारों की रक्षा करेंगे और इन अधिकारों को प्रदान करने के रास्ते में आने वाली ताकतों को हराएंगे।
गृह मंत्री ने कहा कि नए कानूनों में आतंकवाद और संगठित अपराध को फिर से परिभाषित किया गया है और अंतरराज्यीय गिरोहों को नियंत्रित करने के प्रावधान किए गए हैं। जांच को डिजिटल बनाने और आरोप पत्र की समयसीमा बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया गया है।
उन्होंने दावा किया कि पिछले नौ वर्षों के दौरान, सरकार तीन हॉटस्पॉट – पूर्वोत्तर, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों और जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधारने में सफल रही है। इन तीन हॉटस्पॉट्स में 2004 से 2014 तक 33,200 हिंसक घटनाएं देखी गईं जो अब घटकर 12 हजार रह गई हैं। हिंसक घटनाओं में 63 प्रतिशत और मौतों में 73 प्रतिशत की गिरावट आई है।
शाह ने कहा कि सरकार ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और अब देश जीरो टॉलरेंस रणनीति और जीरो टॉलरेंस कार्रवाई की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पुलिस पिछले 10 वर्षों के दौरान आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में सफल रही है, लेकिन चुनौतियाँ समाप्त नहीं हुई हैं।
उन्होंने कहा, “संगठित अपराध, साइबर अपराध, अंतरराज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय अपराध और अंतरराज्यीय गिरोह हमारे सामने नई चुनौतियाँ हैं। हमें नशीले पदार्थों की तस्करी, क्रिप्टो मुद्रा, हवाला लेनदेन और नकली मुद्रा से भी लड़ना होगा जो देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करती हैं।”
उन्होंने प्रतिक्रियाशील और उत्तरदायी पुलिसिंग से आगे बढ़कर निवारक, पूर्वानुमानात्मक और सक्रिय पुलिसिंग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने आईपीएस प्रोबेशनर्स को संविधान की भावना को समझने और आम आदमी के प्रति सहानुभूति रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि नई आपराधिक न्याय प्रणाली लागू होने पर अकादमी में बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने वाले आईपीएस परिवीक्षार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
गृह मंत्री ने कहा कि जब देश अपनी आजादी की शताब्दी मना रहा होगा और विभिन्न क्षेत्रों में दुनिया का नेतृत्व कर रहा होगा, तब इस बैच के अधिकारी पुलिसिंग के प्रमुख पदों पर होंगे।
उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पुलिस टेक्नोलॉजी मिशन की शुरुआत की।
दीक्षांत परेड में 155 आईपीएस अधिकारी प्रशिक्षु और भूटान, नेपाल, मालदीव और मॉरीशस के 20 अधिकारी प्रशिक्षुओं सहित कुल 175 अधिकारी प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।
बैच में 34 महिला अधिकारी शामिल थीं। इनमें 32 आईपीएस अधिकारी प्रशिक्षु और दो अन्य विदेशी अधिकारी प्रशिक्षु थीं।
एसवीपीएनपीए के निदेशक अमित गर्ग ने कहा कि विदेशी अधिकारी प्रशिक्षुओं में छह भूटान से, पांच मालदीव से, पांच नेपाल से और चार मॉरीशस पुलिस से हैं।
–आईएएनएस
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