नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। जहां मौजूदा हवाईअड्डों के विकास के लिए लगभग 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, वहीं अगले पांच वर्षो में नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों की स्थापना के लिए लगभग 38,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
हवाईअड्डों का उन्नयन और आधुनिकीकरण एक सतत प्रक्रिया है, जो भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और अन्य हवाईअड्डा विकासकर्ताओं द्वारा समय-समय पर भूमि की उपलब्धता, वाणिज्यिक व्यवहार्यता, सामाजिक-आर्थिक विचार, यातायात की मांग और सरकार की इच्छा के आधार पर किया जाता है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि एएआई और अन्य हवाईअड्डा डेवलपर्स ने मौजूदा टर्मिनलों के विस्तार और आधुनिकीकरण, नए टर्मिनलों और रनवे के सुदृढ़ीकरण सहित अन्य गतिविधियों के लिए अगले पांच वर्षो में हवाईअड्डा क्षेत्र में लगभग 98,000 करोड़ रुपये के पूंजी परिव्यय का लक्ष्य रखा है।
भारत सरकार ने 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की कुल अनुमानित परियोजना लागत पर 21 नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
इनमें से दुर्गापुर, शिर्डी, कन्नूर, पकयोंग, कालाबुरगी, ओरवाकल (कुरनूल), सिंधुदुर्ग, कुशीनगर, ईटानगर, मोपा और शिवमोग्गा सहित 11 ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे चालू हो गए हैं।
हवाईअड्डों के निर्माण या उन्नयन संबंधित हवाईअड्डा डेवलपर्स द्वारा किया जाता है। इसकी समय-सीमा विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि भूमि अधिग्रहण, अनिवार्य मंजूरी, बाधाओं को दूर करना, वित्तीय समापन आदि।
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और कोविड-19 महामारी के अन्य प्रभाव जैसे जनशक्ति का वियोजन, आपूर्ति श्रृंखला का बंद होना आदि और अभूतपूर्व प्रतिकूल मौसम की स्थिति एएआई द्वारा शुरू की गई उन्नयन परियोजनाओं में देरी के लिए मुख्य जिम्मेदार कारक रहे हैं।
प्रश्न के जवाब में कहा गया कि परियोजनाओं के वित्तपोषण सहित हवाईअड्डा परियोजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों सहित संबंधित हवाईअड्डा विकासकर्ताओं की है।
–आईएएनएस
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