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Home ताज़ा समाचार

नगर निकायों के चुनाव के मुद्दे पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से झटका, तीन हफ्ते में चुनाव की घोषणा के आदेश पर रोक से इनकार

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April 8, 2024
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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

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एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

–आईएएनएस

एसएनसी/एबीएम

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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

–आईएएनएस

एसएनसी/एबीएम

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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

–आईएएनएस

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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

–आईएएनएस

एसएनसी/एबीएम

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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

–आईएएनएस

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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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रांची, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राज्य में नगर निकाय के चुनावों के मसले पर झारखंड सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के चुनाव की घोषणा तीन हफ्ते में करने के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने मामले में 4 जनवरी को आदेश पारित किया था और राज्य की सरकार को तीन हफ्ते में नगर निकायों के लंबित चुनाव की घोषणा करने को कहा था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन की मियाद खत्म हो चुकी है। राज्य सरकार ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील (एलपीए) दाखिल की थी। डबल बेंच ने इससे इनकार कर दिया और सुनवाई के लिए दो हफ्ते के बाद की तारीख मुकर्रर की है।

एकल पीठ ने 4 जनवरी को रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद सरकार को दिए आदेश में कहा था कि नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनावों को लटकाए रखना संवैधानिक और स्थानिक ब्रेकडाउन है। सरकार तीन हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करे।

राज्य सरकार ने एलपीए में कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जाना है और इसके लिए ओबीसी की आबादी का आकलन करने के लिए सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। आयोग की रिपोर्ट आने तक निकाय चुनाव कराने के लिए वक्त दिया जाए। राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह हाईकोर्ट से किया। अपील में राज्य सरकार ने झारखंड म्युनिसिपल एक्ट के प्रोविजन का हवाला देते हुए चुनाव होने तक नगर निगम में प्रशासक की नियुक्ति को सही बताया है।

गौरतलब है कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते साल अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।

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