गोटेगांव. पूर्व में जिस प्रकार से सरकार द्वारा शुद्ध के लिए युद्ध की मुहिम चलते हुए आम जनता के स्वास्थ्य के प्रति अपनी सजगता दिखाई गई थी वह मात्र चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात साबित हुई क्योंकि इस मुहिम के चलते निश्चित तौर पर जहा संबंधित विभाग के अधिकारियों की चांदी हो रही है ,वहीं दूसरी ओर मिलावटी सामग्री की जांच मात्र अब एक औपचारिकता पूर्ण ही जान पड़ती है,और इस मुहिम के कुछ दिन चलने के बाद यह जांच प्रक्रिया ठंडे बस्ती में जाती देखी जा रही है, जिसके चलते फिर बाजार में मिलावटी सामग्री के विक्रय पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
बताया जाता है की मार्केट में इन दोनों डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ की मांग खांसी बढ़ी है क्योंकि खुले सामान में शुद्धता की गारंटी नहीं होने और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के चलते लोग पैक आइटम की ओर आकर्षित होने लगे हैं और इसी के चलते बाजार में नामी ग्रामी कंपनियों की खाद्य वैरायटी के प्रोडक्ट आ रहे हैं जो बच्चों से लेकर बड़ों तक की पसंद बन गए हैं मगर गौर किया जाए तो बाजार में कंपनियों के मिलते-जुलते ब्रांडों की बाढ़ आ गई है,अब यह सेहत पर क्या असर डालेंगे इस बारे में ना तो दुकानदार जान रहा है और ना ही खाद्य विभाग को इतनी फुर्सत है कि इसकी जांच करें,बस दुकानदार तो कमीशन अधिक होने की फेर मे बेचने में रुचि दिखाई दिखाते हैं,
जिसके चलते आम लोगों की जिंदगी पूर्ण रूप से खतरे में दिखाई देने लगी है अक्सर देखा जाता है कि बिना आईएसआई मार्क के भी प्रोडक्ट मार्केट में खुले आम बेचे जा रहे हैं जो हानिकारक बताए जाते हैं इन प्रोडक्ट की सच्चाई इस प्रकार से बनी हुई दिखाई जाती है जिनमें ना तो निर्माण की तिथि दिखाई देती है और ना ही समाप्त होने की तिथि का किसी प्रकार से कोई उल्लेख जाना पड़ता है मगर ग्राहकों को जागरूकता के अभाव चलते एवं दुकानदार लालच के चक्कर में असली प्रोडक्ट की बजाय नकली कंपनियों के सामान बेचते हुए आसानी से दिखाई देते दे सकते हैं,
*एक्सपायरी डेट का उल्लेख नहीं*
यदि इन सामानों पर गौर किया जाए तो कई वस्तुओं के निर्माण की तिथि तक नहीं लिखी रहती और कई जगह एक्सपायरी डेट का सामान बिकते हुए भी देखा जाता है, इन उत्पादों को शहर की गलियों से लेकर गांव गांव में बेचा जा रहा है, शहर सहित आसपास के गांवों में लगने वाले साप्ताहिक बाजारों में लाखों का कारोबार होता है,वही अच्छी कंपनियों का कमीशन कम है और दुकानदारों की मांग के अनुसार इसकी पूर्ति नहीं होती है इस कारण बाजार में इन नाम से मिलते जुलते प्रोडक्ट की बाढ़ देखने मिल रही है, वहीं दीपावली के आगामी त्यौहार के मद्देनजर, मिलावटी खाद्य सामग्री की बाढ़ सी आती है,नगर में मिलावटी खोवा सहित अन्य चीजों में मिलावट होना आम बात है,वहीं दूसरी ओर यदि प्रशासन की सक्रियता पर गौर किया जाए तो उनके द्वारा कभी-कभार दुकानों का निरीक्षण किया जाता है वह भी मात्र औपचारिकता पूरी होने के चलते, इसलिए गुणवत्ता हीन सामग्री बेचने वालों के बुलंद हो रहे हैं.