जबलपुर. जिले के साथ समूचे प्रदेश के लगभग 175 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता के योग्य पाया गया है लेकिन सख्ती के कारण कई कॉलेजों ने मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया. जिसके चलते नर्सिंग कॉलेजों और सीटों की संख्या में गिरावट आई है. अब स्थिति ये हैं कि 485 कॉलेजों में से लगभग 350 बंद हो सकते हैं, क्योंकि वे मान्यता के मापदंडों पर खरे नहीं उतरते.
ज्ञात हो कि हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई द्वारा गठित उच्च स्तरीय जांच समिति के परीक्षण में भले ही लगभग 175 नर्सिंग कॉलेज मान्यता के योग्य पाए गए हैं, पर सख्ती के चलते कई कॉलेज संचालक हाथ खींच रहे हैं. उन्होंने मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं किया है, मान्यता नवीनीकरण के लिए लगभग 300 आवेदन आए थे, जिनमें 125 के करीब ही मान्यता योग्य बताए जा रहे हैं. जिसके चलते इस वर्ष कम सीटों पर ही प्रवेश दिए जाएंगे. कभी प्रदेश भर में नर्सिंग की 45 हजार सीटों में प्रवेश दिया जाता था जिसके इस साल घटकर महज 6 हजार पर सिमटने के संकेत मिल रहे हैं जिससे नर्सिंग अध्ययन के लिए इच्छुक विद्यार्थियों में निराशा का माहौल हैं.
इस तरह घट गई सीटें
सीटों की बात करें तो इन 125 कॉलेजों में जीएनएम (डिप्लोमा पाठ्यक्रम) और बीएससी (नर्सिंग) मिलाकर लगभग छह हजार सीटें ही हैं, जबकि वर्ष 2020 के बाद एक समय ऐसी स्थिति थी कि प्रदेश में 670 नर्सिंग कॉलेजों में 45 हजार तक सीटें थीं. यह कॉलेजों और सीटों की अब तक की सर्वाधिक संख्या रही. सीटें कम होने का बड़ा नुकसान नर्सिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश की तैयारी कर रहे युवक-युवतियों का होगा.
नहीं खुलेगा कोई नया कॉलेज
मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों ने बताया कि एक-दो दिन के भीतर मान्यता जारी होने की उम्मीद है. राज्य सरकार ने तय किया है वर्ष 2023 की तरह इस वर्ष भी कोई नया कॉलेज नहीं खोला जाएगा, सिर्फ पहले से संचालित कॉलेजों को ही मान्यता दी जाएगी. नवीनीकरण के लिए कॉलेजों से आवेदन मांगे गए थे, जिनके परीक्षण का काम लगभग पूरा हो गया है.
मान्यता नवीनीकरण सूची जारी होने के बाद एमपी ऑनलाइन से प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी. प्रवेश के लिए कर्मचारी चयन मंडल पहले ही प्रवेश परीक्षा आयोजित कर चुका है. चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर में प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
बंद हो जाएंगे 350 कॉलेज
लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से नर्सिंग कॉलेजों के संचालन में मापदंड को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. कुछ कॉलेजों का फर्जीवाड़ा मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने पकड़ा. हाईकोर्ट ने अपात्र कॉलेजों को बंद करने के निर्देश दिए. इस तरह लगभग 200 कॉलेज बंद हो गए. अभी 485 कॉलेज संचालित हो रहे हैं. इनमें लगभग 350 बंद हो जाएंगे क्योंकि वे मान्यता के लिए जरूरी सुविधाओं के पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे. आगे भी यही स्थिति रही तो प्रदेश की आवश्यकता के अनुसार नर्सिंग कर्मचारी निजी एवं सरकारी अस्पतालों को नहीं मिल पाएंगे.