उमरिया. केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी नल जल योजना को लागू करने के पीछे सरकार की मंशा थी कि हर घर तक शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो, ताकि जन सामान्य को सुगमता से पानी उपलब्धता से मिल सके. इसके लिए गांव गांव में टूयूब बेल का उत्खनन करा पानी की टंकी तैयार कर पाइप लाइन का जाल बिछाया जा रहा है , इन सब कार्यों में शासन पानी की तरह पैसा बहा रही है लेकिन जिस सुविधा के लिए यह सब किया जा रहा है कि लोगों को मूलभूत सुविधा पानी की आपूर्ति हो सकेंगी , वह आज भी नागरिकों से कोसों दूर दिखाई दे रही है.
इस महत्वाकांक्षी योजना कों भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लागू करते हुए वर्ष 2019 में लागू किया था , जिसकी घोषणा भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करते हुए बजट आंबटित किया गया था साथ ही मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने अपने हिस्से की राशि बजट में 2200 हजार करोड़ प्रदान किया गया था.
सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को अधिकारियों ने चारागाह बना लिया , यहीं वजह है कि उमरिया जिले में यह योजना साकार होने से पहले ही प्लाप हो कर रह गई है , जिसके कारण आज भी करोड़ों रुपयों की योजना गांवो में ठप्प नजर आ रही है . उमरिया जिले के सैकड़ों गांवों में जहां पर योजना संचालित बताई जा रही है, वहां पर भी आज ग्रामीण बूंद बूंद पानी को तरस रहे हैं.
उमरिया जिले के दर्जनों ग्राम पंचायतों में वर्षों से नल जल बनकर तैयार हैं लेकिन आज तक ग्राम पंचायतों को हैण्ड ओभर नहीं किया गया . शहडोल संभागीय मुख्यालय से लगी ग्राम पंचायत बकेली में ही देखा जाये तो नल जल की तीन अलग-अलग स्थलों पर टूयूब बेल करा पानी टंकी बना कर पाइप लाइन बिछाई गई है जो लगभग चार साल से तैयार हैं लेकिन इनमें से सिर्फ एक लाइन ही चल रही है, दो लाइन ददरा टोला और डोंगरी टोला के नल जल योजना आज तक बंद पड़ी हुई है , ठीक इसी तरह ओदरी ग्राम पंचायत के हालात है जहां पर पानी की आपूर्ति आज भी बंद पड़ी हुई है , ऐसा ही मामला चांदपुर, ममान,घुनघुटी के पतनार खुर्द ,बरदढार, मेंढकी, अर्जुनी, मलियागुडा ग्राम इत्यादि गांवों में पेयजल योजना बनकर तैयार हो गई, लेकिन हैण्ड ओभर लेते समय ग्राम पंचायतों ने जब इनकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए तो ठेकेदार हाथ खड़े कर रफ्फूचक्कर हो गये.
उमरिया जिले की करकेली जनपद पंचायत की दूरांचल ग्राम पंचायत कल्दा, बिछिया , मछेहा ग्राम की त्रासदी तो किसी से छिपी नहीं है , जहां पर आज तक वहां के लोग पानी के लिए तरसते नजर आ रहे हैं , यहां आज भी लोग नदी -नालो पर आश्रित होकर जीवन निर्वाह कर रहे हैं . यही स्थिति मानपुर जनपद पंचायत के रायपुर, कछरा , सेहरा,बस्कुटा, गोरइया ,चेचरिया,सकरिया इत्यादि गांव तो एक झलक है , उमरिया जिले में हर एक गांव में कही भी पेयजल की युक्त युक्त व्यवस्था दिखाई नहीं देती .
ध्यान देने योग्य है कि नल जल योजना में सरकार की ओर से धन राशि का की जिस तरह अपव्यय हुआ है , उसी की झलक है कि शासकीय दस्तावेजो में परियोजनाएं संचालित है लेकिन वास्तविक धरातल पर लोगों को पानी मृगतृष्णा बनकर रह गया है.
नल जल योजना में घटिया सामग्री और गुणवत्ता के साथ जो खिलवाड़ हुआ है उसके गवाह गांव गांव में ठप्प पड़ी नल जल योजनाये है . नल जल योजना में विभागीय अधिकारी ठेकेदार भले सागर में डुबकी लगाते नजर आये , लेकिन गांव वालों तो चुल्लू भर पानी के लिए तरस रहे हैं.
अभी हाल में प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पी नरहरी ने संभागीय मुख्यालय में नल जल योजनाओं की समीक्षा करते हुए इन परियोजनाओं को मार्च तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि होना यह चाहिए कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को जमीनी हकीकत जानने के लिए ग्राम तक पहुंच कर योजनाओं की असलियत से रूबरू होना चाहिए. चूंकि मसला नल जल योजनाओं के पूरा करने का नहीं है, यह तो लोगों को पानी की आपूर्ति से है, नहीं तो दस्तावेजों में तो लगभग अस्सी प्रतिशत योजनाएं संचालित है, जबकि अभी भी गांव की अस्सी प्रतिशत आबादी से सुविधा से वंचित हैं . आखिर कार देखना दिलचस्प होगा कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ मिलने में और कितना इंतजार करना पड़ेगा.