लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
–आईएएनएस
एकेजे
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
–आईएएनएस
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
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एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
–आईएएनएस
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
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एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
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एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
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इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
–आईएएनएस
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
–आईएएनएस
एकेजे
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
–आईएएनएस
एकेजे
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
–आईएएनएस
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
–आईएएनएस
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लखनऊ, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। रसायन विज्ञान की क्लास में अचानक गिरकर मरने वाले 9वीं कक्षा के छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
आतिफ बुधवार को रसायन विज्ञान की कक्षा में गिर गया था और उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। डॉक्टरों को संदेह है कि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी।
इस बीच, लड़के की चौंकाने वाली मौत ने जन्मजात बीमारियों, तनाव के स्तर और गंभीर बीमारी के बाद उचित रिकवरी पर ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी मौतों के लिए ये संभावित कारण बताए गए हैं।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”
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एसीपी, अलीगंज, आशुतोष कुमार ने कहा कि छात्र आतिफ सिद्दीकी का विसरा आगे की जांच और मौत के कारण का पता लगाने के लिए फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम स्कूल का दौरा करेगी और शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करेगी।
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इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन्स (आईएपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय निरंजन ने कहा, “अचानक मौत किसी भी उम्र में किसी की भी हो सकती है और शिशुओं में भी इसकी सूचना मिली है। तब इसे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) या कॉट डेथ के रूप में जाना जाता है। जन्मजात बीमारियों से लेकर डेंगू शॉक सिंड्रोम या कोविड की गंभीर अवस्था जैसी गंभीर बीमारियों के प्रतिकूल प्रभाव तक इसके कई कारण हैं।”
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक शुक्ला ने कहा, “कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन घातक क्षति का कारण बनती है। यदि आप तनाव का विश्लेषण करते हैं, तो छात्रों पर प्रदर्शन करने के लिए काफी दबाव होता है और यह कमजोर दिल का एक कारण है।”
लखनऊ में पिछले दिनों अचानक मौत की कई घटनाएं हुईं।
नवंबर 2022 में 12वीं कक्षा के एक छात्र को स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ा।
अक्टूबर 2016 में सातवीं कक्षा के एक छात्र की स्कूल में अचानक मृत्यु हो गई।
डॉक्टरों ने कहा कि यह जानने के लिए कि क्या ऐसे मामलों में मौतों का कोई पैटर्न है, मौत के बाद शव परीक्षण और संबंधित फोरेंसिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी मेडिकल हिस्ट्री के कार्यालय, स्कूल या सड़क किनारे अचानक हुई मौत का अध्ययन किया जाना चाहिए।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ समीर मिश्रा ने कहा, “पांच साल की उम्र के बाद बच्चे स्वास्थ्य और जीवन के बारे में बहुत कुछ समझते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के तरीके सिखाए जाने चाहिए और अचानक सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या के बारे में माता-पिता या स्कूल अधिकारियों को बताना चाहिए। चूंकि बच्चे अक्सर बीमारी को छिपाते हैं या अनदेखा करते हैं, इसलिए स्कूलों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर साप्ताहिक सत्र आयोजित करना चाहिए।“
डॉ. गुप्ता ने कहा, “सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि जिम, सड़क किनारे और यहां तक कि कार्यालयों से भी अचानक मौत के मामले सामने आए हैं, जहां कुछ ही मिनटों में लोगों की मौत हो गई। अगर सहकर्मियों को मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता हो, तो वे जान बचा सकते हैं।”