कोलकाता, 14 जून (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर ने बुधवार को सीबीआई को तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य अपरूपा पोद्दार उर्फ आफरीन अली के खिलाफ नारद स्टिंग ऑपरेशन की जांच पूरी करने के लिए चार माह का समय दिया।
18 अप्रैल को, पोद्दार ने 2016 के नारद स्टिंग वीडियो मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर प्राथमिकी से अपना नाम हटाने की याचिका के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हुगली जिले के आरामबाग लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस की सांसद पोद्दार ने अपनी याचिका में कहा कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा मामले की जांच शुरू किए कई साल बीत चुके हैं और इस मामले में कुछ भी ठोस सामने नहीं आया है। ऐसी स्थिति में उसका नाम एफआईआर में शामिल होने के कारण उसकी छवि खराब हो रही है।
न्यायमूर्ति मंथा ने उनकी याचिका पर आदेश पारित करते हुए पोद्दार के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए चार महीने की समय सीमा तय की। हालांकि, न्यायमूर्ति मंथा ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि चार महीने की समय सीमा केवल पोद्दार के लिए है, मामले के अन्य आरोपियों के लिए नहीं। उन्होंने यह भी देखा कि अगर केंद्रीय एजेंसी मामले में पोद्दार के खिलाफ जांच पूरी करने में असमर्थ है, तो उनका नाम जांच के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा।
नारद वीडियो स्टिंग ऑपरेशन 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सामने आया था। इसने कई तृणमूल नेताओं और एक आईपीएस अधिकारी को एहसान के बदले पैसे प्राप्त करते हुए दिखाया।
हालांकि वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन और भाजपा जैसी विपक्षी ताकतों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अपने अभियान में स्टिंग का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया, राज्य के लोगों ने उस साल विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी और उनकी पार्टी को भारी बहुमत से वापस लाया।
2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद, सीबीआई ने इस सिलसिले में राज्य के नगरपालिका मामलों और शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम, तत्कालीन राज्य पंचायत मामलों और ग्रामीण विकास मंत्री, स्वर्गीय सुब्रत मुखर्जी, तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया। ये चारों स्टिंग वीडियो में कैश लेते दिख रहे हैं।
–आईएएनएस
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