नालंदा, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने बिहार के नालंदा जिले के मत्स्य पालकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में अहम योगदान दिया है। इसके तहत मछुआरों और मत्स्य पालकों को आर्थिक मदद, प्रशिक्षण और जरूरी उपकरण उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ के निदेशक शिवनंदन प्रसाद ने आईएएनएस को बताया कि यह योजना मत्स्य पालकों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो रही है। इसके अंतर्गत मछली पालन से जुड़े कई कार्यों के लिए सरकार 50 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है। इसमें तालाबों का निर्माण, पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार, मछली के भोजन, दवाओं और एयरेटर मशीनों पर भी वित्तीय सहायता दी जा रही है। मोटर पंप जैसी तकनीकी सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं, जो मछली पालन के कार्य को और भी सुलभ बना रही हैं।
शिवनंदन प्रसाद ने बताया कि नालंदा जिले में अब तक हजारों किसानों को इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इससे न केवल उनके परिवार का भरण-पोषण हो रहा है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है।
योजना के लाभार्थी उदय कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद उन्होंने मछली पालन का कार्य शुरू किया है। पहले वह केवल अपनी जमीन पर काम कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने और जमीन लीज पर लेकर व्यवसाय बढ़ा लिया है। उन्होंने कहा, “इस योजना के माध्यम से मैं सालाना डेढ़ से दो लाख रुपये तक की कमाई कर रहा हूं। मुझे पहले 60 हजार रुपये की सहायता राशि मिली थी, जिससे मैंने मछली पालन का कार्य शुरू किया। अब मैं डेढ़ बीघा जमीन पर मछली पालन कर रहा हूं और हर महीने 30 से 40 हजार रुपये की कमाई कर रहा हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। उन्होंने युवाओं को भी प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें इस क्षेत्र में कदम बढ़ाना चाहिए और आत्मनिर्भर बनना चाहिए।
शिवनंदन प्रसाद और उदय कुमार दोनों का मानना है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है और इसका लाभ देशभर के किसानों को हो रहा है। इस योजना से न केवल मछुआरों की जीवनशैली में सुधार हो रहा है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। इस योजना के माध्यम से नालंदा जिले में मत्स्य पालकों को न केवल वित्तीय सहायता मिल रही है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने का अवसर भी मिल रहा है, जिससे यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि की नई राह खुल रही है।
–आईएएनएस
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