नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। एक शोध से यह बात सामने आई है कि नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में रहने के दौरान शिशुओं को रोटावायरस वैक्सीन देना सुरक्षित हो सकता है और इसके साथ ही यह इस बात की ओर इशारा करता है कि इसे नियमित रूप से एनआईसीयू में भर्ती शिशुओं को दिया जा सकता है।
फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल (सीएचओपी) के अध्ययन से पता चला है कि एनआईसीयू में रोटावायरस वैक्सीन के स्ट्रेन का संक्रमण दुर्लभ है। लेकिन, टीम ने कहा कि रोटावायरस वैक्सीन लगाने से इम्यून सिस्टम को लाभ मिलेगा। शोध के यह निष्कर्ष नैदानिक अभ्यास में बदलाव के आधार के रूप में काम कर सकते हैं।
रोटावायरस एक ऐसा वायरस है जो आंतों की परत को संक्रमित करता है और आमतौर पर तेज बुखार, लगातार और गंभीर उल्टी और दस्त जैसे लक्षणों से पहचाना जाता है। यह शिशुओं और छोटे बच्चों में दस्त का सबसे आम कारण बना हुआ है। इससे दुनिया भर में लगभग आधे मिलियन बच्चों की मौत हो जाती है।
आमतौर पर, रोटावायरस वैक्सीन की पहली खुराक नवजात शिशुओं को दो महीने की उम्र में दी जाती है।
वैसे कई एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में रोटावायरस के टीके अस्पताल में भर्ती मरीजों को नहीं दिए जाते हैं,क्योंकि टीके में मौजूद वायरस के स्ट्रेन अन्य मरीजों में फैल सकते हैं।
एनआईसीयू से मरीजों को छुट्टी मिलने तक टीकाकरण रोके रखने से अक्सर शिशुओं को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है, जो स्वास्थ्य स्थितियों के कारण गंभीर रोटावायरस रोग के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। पिछले पूर्वव्यापी अध्ययनों में एनआईसीयू सेटिंग्स में हॉरिजॉन्टल ट्रांसमिशन का बहुत कम जोखिम पाया गया था।
जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन में भर्ती 1,238 शिशुओं की जांच की गई, जिनमें रोटाटेक वैक्सीन की 226 खुराकें दी गईं।
कुल 3,448 मल के नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 2,252 नमूने 686 ऐसे रोगियों के थे, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था। इनमें से अधिकांश बिना टीकाकरण वाले रोगियों में रोटावायरस वैक्सीन स्ट्रेन के लिए कभी भी सकारात्मक परीक्षण नहीं किया गया।
शेष पांच रोगियों में रोटावायरस वैक्सीन स्ट्रेन के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया। उन मामलों में गैस्ट्रोएंटेराइटिस के कोई लक्षण नहीं पाए गए।
सीएचओपी के नियोनेटोलॉजी विभाग में नियोनेटोलॉजिस्ट कैथलीन ए. गिब्स ने कहा, ” शोध ये निष्कर्ष मौजूदा सुरक्षा डेटा में इजाफा करते हैं और सुझाव देते हैं कि रोटावायरस वैक्सीन के एनआईसीयू प्रशासन के ज्ञात लाभ वैक्सीन-स्ट्रेन ट्रांसमिशन के कम जोखिमों से अधिक हैं।”
–आईएएनएस
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