नई दिल्ली, 6 फरवरी (आईएएनएस)। भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को अजित पवार गुट को ‘असली’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में मान्यता दी और उन्हें पार्टी का प्रतीक ‘घड़ी’ आवंटित किया।
इस फैसले को दिग्गज नेता शरद पवार और उनके समर्थकों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, हालांकि शरद पवार गुट के लिए थोड़ी राहत है, क्योंकि चुनाव आयोग ने आसन्न राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें अपने गुट का नाम चुनने का विकल्प दिया है। यह गुट बुधवार को दोपहर 3 बजे तक नाम के लिए तीन विकल्प प्रस्तुत कर सकता है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार, विधायी बहुमत के परीक्षण से अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी के नाम और प्रतीक के लिए लड़ाई जीतने में मदद मिली। यह लगभग 6 महीने से ज्यादा समय तक चली 10 सुनवाई के बाद यह फैसला आया।
एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था।
–आईएएनएस
एसजीके/
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नई दिल्ली, 6 फरवरी (आईएएनएस)। भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को अजित पवार गुट को ‘असली’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में मान्यता दी और उन्हें पार्टी का प्रतीक ‘घड़ी’ आवंटित किया।
इस फैसले को दिग्गज नेता शरद पवार और उनके समर्थकों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, हालांकि शरद पवार गुट के लिए थोड़ी राहत है, क्योंकि चुनाव आयोग ने आसन्न राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें अपने गुट का नाम चुनने का विकल्प दिया है। यह गुट बुधवार को दोपहर 3 बजे तक नाम के लिए तीन विकल्प प्रस्तुत कर सकता है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार, विधायी बहुमत के परीक्षण से अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी के नाम और प्रतीक के लिए लड़ाई जीतने में मदद मिली। यह लगभग 6 महीने से ज्यादा समय तक चली 10 सुनवाई के बाद यह फैसला आया।
एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था।
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इस फैसले को दिग्गज नेता शरद पवार और उनके समर्थकों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, हालांकि शरद पवार गुट के लिए थोड़ी राहत है, क्योंकि चुनाव आयोग ने आसन्न राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें अपने गुट का नाम चुनने का विकल्प दिया है। यह गुट बुधवार को दोपहर 3 बजे तक नाम के लिए तीन विकल्प प्रस्तुत कर सकता है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार, विधायी बहुमत के परीक्षण से अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी के नाम और प्रतीक के लिए लड़ाई जीतने में मदद मिली। यह लगभग 6 महीने से ज्यादा समय तक चली 10 सुनवाई के बाद यह फैसला आया।
एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था।
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इस फैसले को दिग्गज नेता शरद पवार और उनके समर्थकों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, हालांकि शरद पवार गुट के लिए थोड़ी राहत है, क्योंकि चुनाव आयोग ने आसन्न राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें अपने गुट का नाम चुनने का विकल्प दिया है। यह गुट बुधवार को दोपहर 3 बजे तक नाम के लिए तीन विकल्प प्रस्तुत कर सकता है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार, विधायी बहुमत के परीक्षण से अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी के नाम और प्रतीक के लिए लड़ाई जीतने में मदद मिली। यह लगभग 6 महीने से ज्यादा समय तक चली 10 सुनवाई के बाद यह फैसला आया।
एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था।
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इस फैसले को दिग्गज नेता शरद पवार और उनके समर्थकों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, हालांकि शरद पवार गुट के लिए थोड़ी राहत है, क्योंकि चुनाव आयोग ने आसन्न राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें अपने गुट का नाम चुनने का विकल्प दिया है। यह गुट बुधवार को दोपहर 3 बजे तक नाम के लिए तीन विकल्प प्रस्तुत कर सकता है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार, विधायी बहुमत के परीक्षण से अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी के नाम और प्रतीक के लिए लड़ाई जीतने में मदद मिली। यह लगभग 6 महीने से ज्यादा समय तक चली 10 सुनवाई के बाद यह फैसला आया।
एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था।
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एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था।
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एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था।
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एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था।
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आयोग के सूत्रों के अनुसार, विधायी बहुमत के परीक्षण से अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को एनसीपी के नाम और प्रतीक के लिए लड़ाई जीतने में मदद मिली। यह लगभग 6 महीने से ज्यादा समय तक चली 10 सुनवाई के बाद यह फैसला आया।
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एक अधिकारी ने कहा, हालांकि शरद पवार गुट के लिए थोड़ी राहत है, क्योंकि चुनाव आयोग ने आसन्न राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें अपने गुट का नाम चुनने का विकल्प दिया है। यह गुट बुधवार को दोपहर 3 बजे तक नाम के लिए तीन विकल्प प्रस्तुत कर सकता है।
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