जबलपुर. राज्य अधिवक्ता परिषद में निलंबित महिला क्लर्क को नियम विरूध्द तरीके से कार्यकारी सचिव बनाये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य शैलेंद्र वर्मा,अहादउल्ला उसमानी सहित तीन अन्य सदस्यों की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि परिषद कार्यालय में जूनियर क्लर्क के पद पर पदस्थ महिला जूनियर क्लर्क को नियम विरुद्ध तरीके से कार्यकारी सचिव बनाये जाने को चुनौती दी गयी थी. याचिका में कहा गया था कि साल 2019 में सहायक सचिव के लिए आयोजित परीक्षा में अनावेदक जूनियर क्लर्क गीता तिवारी को मात्र पांच अंक मिले और फेल हो गयी थी. परीक्षा में शामिल अन्य कर्मचारियों को उससे अधिक मिले थे.
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याचिका में कहा गया था तत्कालीन अध्यक्ष विजय चौधरी ने 31 जनवरी 2022 को मनमाना आदेश पारित करते हुए उन्हें कार्यकारी सचिव के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी. स्टेट बार कौंसिल के सर्विस रूल्स 7 व 8 के अनुसार किसी भी कर्मचारी को पदोन्नति देने के लिए एग्जीक्यूटिव कमेटी की अनुशंसा आवष्यक है. एग्जीक्यूटिव कमेटी की अनुशंसा के बिना जूनियर क्लर्क को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान करते हुए 12 सीनियर कर्मचारियों के अधिकारों का हनन किया गया.
याचिका में कहा गया था कि उनके वेतन बढाकर 28 हजार रुपये से लगभग 95 हजार रुपये कर दिया गया. जो अधिवक्ताओं के हितों का दुरुपयोग है. याचिकाकर्ता सदस्यों ने इस संबंध में वर्तमान चेयरमैन से शिकायत करते हुए बताया था कि परिषद में आउट ऑफ टर्न का कोई प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गयी है.
युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष राधे लाल गुप्ता,पूर्व अध्यक्ष विजय चौधरी,कोषाध्यक्ष मनीष तिवारी,पूर्व कोषाध्यक्ष रष्मि जैन तथा कार्यकारी सचिव गीता ष्षुक्ला को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अमानउल्ला उस्मानी ने पैरवी की.