चेन्नई, 21 सितंबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने गुरुवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की कटऑफ को शून्य तक कम करने के लिए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला।
केंद्र के निर्णय को “अर्थहीन” बताते हुए स्टालिन ने कहा कि यह योग्यता आधारित प्रवेश प्रक्रिया के लिए हानिकारक है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उन्होंने कहा, “एनईईटी पीजी कटऑफ को शून्य तक कम करके, वे स्वीकार कर रहे हैं कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा में पात्रता अर्थहीन है। यह सिर्फ कोचिंग सेंटर और परीक्षा के लिए भुगतान करने के बारे में है। इससे अधिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “एनईईटी = 0। एनईईटी का योग्यता से कोई लेना-देना नहीं है, जैसा कि हम हमेशा से कहते रहे हैं। यह केवल एक औपचारिकता रही है, यह वास्तविक पात्रता मानदंड नहीं है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतनी सारी कीमती जानें जाने के बावजूद केंद्र की भाजपा सरकार निर्दयी बनी हुई है और अब इस तरह का आदेश सिर्फ नुकसान पहुंचाने के लिए लेकर आई है। भाजपा सरकार को हटाया जाना चाहिए।
एम.के. स्टालिन के बेटे और तमिलनाडु के खेल और युवा मामलों के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ का सहारा लिया और केंद्र सरकार द्वारा पीजी मेडिकल प्रवेश के लिए एनईईटी क्वालीफाइंग मानदंड को शून्य तक कम करने के खिलाफ प्रदर्शन किया।
उदयनिधि ने पोस्ट में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए रुख ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनकी पार्टी डीएमके किस बारे में बोल रही है और कहा कि एनईईटी कोचिंग सेंटर और निजी मेडिकल कॉलेज को समृद्ध बनाने की एक व्यवस्था है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को एनईईटी अन्याय और एनईईटी पास न कर पाने के कारण आत्महत्या करने वाले कई गरीब छात्रों की मौत पर सवालों का जवाब देना होगा।
गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार ने एनईईटी के खिलाफ राज्य विधानसभा में दो विधेयक पारित किए थे और ये विधेयक भारत के राष्ट्रपति की सहमति के लिए हैं। राज्य सरकार का एनईईटी को लेकर केंद्र सरकार के साथ टकराव चल रहा है।
–आईएएनएस
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