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Home ताज़ा समाचार

नीट-यूजी 2024 फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका

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September 2, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर उसके उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई है, जिसमें नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से आयोजित करने के आदेश को खारिज कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

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मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

एनटीए द्वारा अस्पष्ट प्रश्न के लिए दो विकल्पों को सही उत्तर मानने के निर्णय के कारण 44 अभ्यर्थी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर उसके उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई है, जिसमें नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से आयोजित करने के आदेश को खारिज कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

एनटीए द्वारा अस्पष्ट प्रश्न के लिए दो विकल्पों को सही उत्तर मानने के निर्णय के कारण 44 अभ्यर्थी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर उसके उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई है, जिसमें नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से आयोजित करने के आदेश को खारिज कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

एनटीए द्वारा अस्पष्ट प्रश्न के लिए दो विकल्पों को सही उत्तर मानने के निर्णय के कारण 44 अभ्यर्थी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

एनटीए द्वारा अस्पष्ट प्रश्न के लिए दो विकल्पों को सही उत्तर मानने के निर्णय के कारण 44 अभ्यर्थी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

एनटीए द्वारा अस्पष्ट प्रश्न के लिए दो विकल्पों को सही उत्तर मानने के निर्णय के कारण 44 अभ्यर्थी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

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नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर उसके उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई है, जिसमें नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से आयोजित करने के आदेश को खारिज कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

एनटीए द्वारा अस्पष्ट प्रश्न के लिए दो विकल्पों को सही उत्तर मानने के निर्णय के कारण 44 अभ्यर्थी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर उसके उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई है, जिसमें नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से आयोजित करने के आदेश को खारिज कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

एनटीए द्वारा अस्पष्ट प्रश्न के लिए दो विकल्पों को सही उत्तर मानने के निर्णय के कारण 44 अभ्यर्थी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

–आईएएनएस

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

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हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

एनटीए द्वारा अस्पष्ट प्रश्न के लिए दो विकल्पों को सही उत्तर मानने के निर्णय के कारण 44 अभ्यर्थी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे।

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

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याचिकाकर्ता द्वारा दायर समीक्षा याचिका में 23 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था क‍ि व्‍यापक रूप से परीक्षा की पारदर्शिता को भंग करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश देने से पांच मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश प्राधिकारियों को उन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा, जिन्होंने गलत तरीकों से परीक्षा पास की है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

नीट-यूजी परीक्षा विवाद के मद्देनजर केंद्र द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञ पैनल को पंजीकरण की समयसीमा, परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन, ओएमआर शीटों को सील करने और परीक्षा के संचालन से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “समिति की रिपोर्ट 30 सितंबर तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट प्राप्त होने के एक महीने के भीतर समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर निर्णय लेगा।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र से भविष्य में नीट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण मांगे जाने के बाद विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने समय की हानि के आधार पर 1,563 छात्रों को ग्रेस अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले की भी निंदा की। बाद में एनटीए ने इसे ग्रेस अंक को वापस ले ल‍िया था।

इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

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इसके अलावा, न्यायालय ने एनटीए को भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न के संबंध में आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञ पैनल द्वारा दी गई राय को ध्यान में रखते हुए अंकों की पुनः गणना करने को कहा।

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