पटना, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से पूरे देश में जाति जनगणना कराने और बिहार को विशेष दर्जा देने का आग्रह किया।
उन्होंने यहां मुख्यमंत्री सचिवालय में आयोजित पूर्वी क्षेत्र की 26वीं क्षेत्रीय परिषद की बैठक में ये मांगें कीं, जिसमें अमित शाह, नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण की सफलता का जिक्र किया, जो हाल ही में राज्य सरकार ने अपने खर्च पर राज्य के 13 करोड़ से अधिक लोगों की जाति और वित्तीय स्थिति का पता लगाने के लिए कराया था।
उन्होंने अमित शाह से बिहार की जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट को संविधान की अनुसूची 9 में डालने का अनुरोध किया, ताकि कोई इसे बदल न सके।
नीतीश कुमार ने कहा, “हम चाहते हैं कि केंद्र देश में जाति जनगणना कराए। हम इसके लिए हमेशा प्रयास कर रहे थे और हमने बिहार विधानसभा के दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित किया है। हमने केंद्र को भी प्रस्ताव भेजा है और प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की, लेकिन उन्होंने इस पर विचार नहीं किया। तब हमने राज्य सरकार के खर्च पर बिहार में जाति सर्वेक्षण कराया।”
नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड पहले एक ही राज्य थे। 1912 में बिहार और ओडिशा बंगाल से अलग हो गए और 1936 में ओडिशा बिहार से अलग हो गया। साल 2000 में झारखंड भी बिहार से अलग हो गया। सारी खदानें, वन संपदा, सारी फैक्टरियां बिहार से छिन गईं, इसलिए बिहार को विशेष दर्जा देकर थोड़ी भरपाई की जानी चाहिए।
बिहार सरकार ने इस साल महात्मा गांधी जयंती (2 अक्टूबर) को जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की जनसंख्या संख्या 130,725,310 है जिसमें अत्यंत पिछड़ी जाति (ईबीसी) 36 प्रतिशत, अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत हैं।
जाति आधारित विधेयक पिछले साल बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित हो चुका है और हर राजनीतिक दल ने इस पर सहमति जताई है, हालांकि कुछ व्यक्ति और समूह इसके खिलाफ पटना उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय भी गए, लेकिन शीर्ष अदालत ने अंततः इसे मंजूरी दे दी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बिहार में हिंदू समुदाय 81.9 प्रतिशत, मुस्लिम 17.7 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.0096 प्रतिशत और अन्य धर्म 0.12 प्रतिशत हैं।
जहां तक प्रमुख जातियों का सवाल है, ऊंची जातियां 15.52 प्रतिशत हैं – भूमिहार 2.86 प्रतिशत, ब्राह्मण 3.66 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत और कायस्थ 0.60 प्रतिशत।
इसके अलावा कुर्मी 2.87 फीसदी, मुसहर 3 फीसदी, यादव 14 फीसदी हैं। कुशवाह 4.21 प्रतिशत, चंद्रवंशी 1.64 प्रतिशत, धानुक 2.13 प्रतिशत, धोबी 0.83 प्रतिशत, नाइस 1.59 प्रतिशत, नोनिया 1.91 प्रतिशत, कुम्हार 1.40 प्रतिशत, पासी (पासवान) 0.98 प्रतिशत, बदहिस 1.45 प्रतिशत, लोहार 0.15 प्रतिशत, सोनार 0.68 प्रतिशत, हलवाई 0.60 प्रतिशत, अघोरी 0.069 प्रतिशत, अद्राखी 0.02 प्रतिशत, अब्दाल 0.0087 प्रतिशत, अमात 0.21 प्रतिशत, असुर 0.059 प्रतिशत, अवध बनिया 0.03 प्रतिशत और मुस्लिम दर्जी 0.25 प्रतिशत हैं।
–आईएएनएस
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