पटना, 5 मार्च (आईएएनएस)। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं हैं और इसकी एक वजह विपक्षी एकता हो सकती है, हालांकि अभी कुछ भी तय नहीं है।
विपक्षी नेता अक्सर रैलियों, सम्मेलनों और जन्मदिन पार्टियों में एकता का प्रदर्शन करते रहते हैं। यह पटना में भाकपा माले के अधिवेशन, पूर्णिया और चेन्नई में महागठबंधन की रैली के दौरान हुआ, जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपना 70वां जन्मदिन कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मनाया।
अगले साल होने वाला आम चुनाव सभी विपक्षी पार्टियों के लिए अहम है। उनके नेता पहले से ही दावा कर रहे हैं कि अगर केंद्र में बीजेपी की सत्ता बनी रही तो देश का संविधान गंभीर खतरे में आ जाएगा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव भी इस तथ्य को जानते हैं और इसलिए वे विपक्षी नेताओं को एकजुट करने का कोई अवसर नहीं खो रहे हैं।
हाल ही में पटना में आयोजित भाकपा माले के 11वें राष्ट्रीय अधिवेशन में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस नेतृत्व से विपक्षी दलों को एकजुट करने की पहल करने की अपील की थी।
नीतीश कुमार ने कांग्रेस के सलमान खुर्शीद से कहा कि वह अपना संदेश कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा दें। उन्होंने यह भी कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के एक कॉल का इंतजार कर रहे हैं।
इसी कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी यादव ने कांग्रेस पार्टी के साथ विपक्षी एकता की भी वकालत की। उन्होंने कांग्रेस से अपील की कि वह क्षेत्रीय दलों को चालक की सीट पर रहने की अनुमति दे, जहां वे मजबूत स्थिति में हैं।
खुर्शीद ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे उसी तरफ हैं और हर कोई इस बात का इंतजार कर रहा है कि कौन पहले आई लव यू कहेगा।
25 फरवरी को पूर्णिया की रैली में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी बिहार में महागठबंधन के साथ है और विपक्षी एकता की पक्षधर है।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन छत्तीसगढ़ में हुआ, लेकिन शीर्ष नेतृत्व महागठबंधन की एकता पर पैनी निगाह रखे हुए है।
तिवारी ने कहा, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पूर्णिया रैली को वर्चुअली संबोधित करते हुए ठीक ही कहा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों का भाग्य देश में लोकतंत्र के बने रहने पर निर्भर करेगा। राजनेता राजनीति तभी करेंगे जब देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होगी।
आप देख ही रहे हैं कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार किया गया। सीबीआई ने उनके घर और कार्यालयों पर कई बार छापे मारे और अंतत: उन्हें गिरफ्तार कर लिया। शिवसेना नेता संजय राउत को भी इसी तरह सलाखों के पीछे भेजा गया था।
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पवार, सीताराम येचुरी, डी. राजा और अखिलेश यादव जैसे शीर्ष विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी। यहां तक कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी बिहार आए और उनसे मिले।
नीतीश कुमार ने भी कई बार कहा कि उनकी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है।
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के 70वें जन्मदिन के मौके पर तेजस्वी यादव ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, के. चंद्रशेखर राव से भी मुलाकात की। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने पिछले साल पटना आकर तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी। उन्होंने नीतीश कुमार से भी मुलाकात की।
–आईएएनएस
एचएमए/एसकेपी