deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home अंतरराष्ट्रीय

नेपाल संकट: जेन जी का विरोध प्रदर्शन नया नहीं, ‘डिजिटल नेटिव’ बारीकियों से वाकिफ

देशबन्धु by देशबन्धु
September 12, 2025
in अंतरराष्ट्रीय
0
नेपाल संकट: जेन जी का विरोध प्रदर्शन नया नहीं, ‘डिजिटल नेटिव’ बारीकियों से वाकिफ
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

काठमांडू, 12 सितंबर (आईएएनएस)। पिछले चार साल में नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हुई उथल-पुथल के बीच सोशल मीडिया का मेगाफोन के रूप में उपयोग किया जाना चर्चा का विषय है। ये सामाजिक दरार को दर्शाता है, साथ ही जवाबदेही की मांग भी उठाता है।

READ ALSO

कौन हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने संभाली नेपाल की सत्ता की कमान

दक्षिण सूडान में बाढ़ के कारण एक लाख से अधिक लोग विस्थापित: संयुक्त राष्ट्र

पुणे स्थित एमआईटी आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल स्कूल ऑफ ब्रॉडकास्टिंग एंड जर्नलिज्म के प्रभारी निदेशक डॉ. संबित पाल ने बताया, “जेनरेशन जेड ‘डिजिटल नेटिव’ हैं जो इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ पले-बढ़े हैं और इसलिए इस प्लेटफॉर्म की बारीकियों से वाकिफ हैं।”

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नेपाल में युवा प्रदर्शनकारियों ने जेन जी या जनरेशन जेड का इस्तेमाल किया। ये शब्द 1997 और 2012 के बीच पैदा हुए लोगों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

उन्होंने आगे कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने उन्हें मेनस्ट्रीम मीडिया को दरकिनार कर, अपने नैरेटिव सेट करने और शासन संबंधी मुद्दों पर मिलजुलकर राय व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया है।”

अध्ययनों से पता चलता है कि सोशल मीडिया अभियान मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा दे सकते हैं, और जब पारंपरिक मीडिया सीमित दायरे में काम करती है तो नागरिक संवाद को बनाए रख सकते हैं।

मीडिया स्किल्स लैब के संस्थापक-निदेशक जॉयदीप दास गुप्ता ने कहा, “अरब विद्रोह से लेकर दक्षिण एशियाई देशों के आंदोलनों तक, प्रदर्शनकारियों ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया है, जो संचार का एक शक्तिशाली माध्यम है, जिसमें न्यूनतम खर्च में अधिकतम पहुंच है।”

मीडिया स्किल्स लैब एक शैक्षिक-शोध संस्थान है जो मीडिया साक्षरता, फैक्ट-चैक, एआई साक्षरता, डेटा जर्नलिज्म और सोल्यूशन जर्नलिज्म पर केंद्रित है।

फोर्ब्स कम्युनिकेशंस काउंसिल की एक पोस्ट के अनुसार, “सभी सोशल मीडिया चैनल एक जैसे नहीं बनाए जाते। प्रत्येक प्लेटफॉर्म के अपने विशिष्ट यूजर समूह होते हैं, जिनकी सामग्री के साथ बातचीत करने की अपनी विशिष्टताएं होती हैं।”

लेख 13 प्रैक्टिस पर प्रकाश डालती है, जिनमें व्यवसाय की प्रकृति को पहचानना, कोर टारगेट ऑडियंस दर्शकों पर फोकस करना, ग्राहक जनसांख्यिकी, प्रतिस्पर्धियों पर शोध आदि शामिल हैं।

ज्यादातर बातें चीनी रणनीतिकार और दार्शनिक सुन त्जु की शिक्षाओं जैसी लग सकती हैं, जिन्होंने अपने दुश्मन को जानने के महत्व पर जोर दिया था।

दास गुप्ता ने बताया, “इंटरनेट के लोकतंत्रीकरण के साथ, पहुंच आसान हो गई है। संदेश का प्रसार तुरंत होता है और आंदोलन गति पकड़ लेता है।”

ADVERTISEMENT

जब विद्रोह का सामना करना पड़ता है, तो सरकारें आमतौर पर संदेशों के प्रसार को रोकने के लिए सोशल मीडिया हैंडल या इंटरनेट पर ही प्रतिबंध लगा देती हैं।

2022 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान, श्रीलंका ने आपातकाल की घोषणा करके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुंच को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर कर्फ्यू लगा दिया था।

तत्कालीन बांग्लादेश सरकार ने भी लगभग इसी तरह की प्रतिक्रिया दी थी, जबकि नेपाल में, राजधानी काठमांडू की सड़कों पर हिंसा भड़कने के साथ प्रतिबंध हटा लिया गया था।

हालांकि, जैसा कि घटनाओं से पता चलता है, अधिकारी आपातकालीन समय को छोड़कर वेब सामग्री पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते। ये प्लेटफॉर्म निजी स्वामित्व वाले हैं, और इंटरनेट पर पुलिस की निगरानी का सुझाव भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधा डालने के आरोपों को जन्म देता है।

लेकिन ऐसे हैंडल के एल्गोरिदम यह तय कर सकते हैं कि लोग क्या देखें और क्या नहीं।

ऐसे एल्गोरिदम वाले कानूनों का इस्तेमाल करते हुए, बाल शोषण, हिंसा और झूठी कहानियों के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए एक ‘स्टैच्यूरी बिल्डिंग कोड’ बनाने की सिफारिश की गई है, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए अनिवार्य सुरक्षा और गुणवत्ता संबंधी जरूरतें शामिल हैं।

लेकिन विशेषज्ञों का ये भी मत है कि राजनीतिक और सामाजिक संदेशों को बाध्य नहीं किया जा सकता और न ही किया जाना चाहिए।

–आईएएनएस

केआर/

देशबन्धु

Related Posts

कौन हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने संभाली नेपाल की सत्ता की कमान
अंतरराष्ट्रीय

कौन हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने संभाली नेपाल की सत्ता की कमान

September 12, 2025
दक्षिण सूडान में बाढ़ के कारण एक लाख से अधिक लोग विस्थापित: संयुक्त राष्ट्र
अंतरराष्ट्रीय

दक्षिण सूडान में बाढ़ के कारण एक लाख से अधिक लोग विस्थापित: संयुक्त राष्ट्र

September 12, 2025
कुपोषण से जूझ रहे अफगानिस्तान के बच्चे और महिलाएं, मदद की तत्काल जरूरत: संयुक्त राष्ट्र
अंतरराष्ट्रीय

कुपोषण से जूझ रहे अफगानिस्तान के बच्चे और महिलाएं, मदद की तत्काल जरूरत: संयुक्त राष्ट्र

September 12, 2025
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली ने उत्तर कोरिया से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देने का लिया संकल्प
अंतरराष्ट्रीय

दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली ने उत्तर कोरिया से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देने का लिया संकल्प

September 12, 2025
अंतरराष्ट्रीय

यूक्रेन को संघर्ष समाप्त करने के लिए मना सकता है अमेरिका, उनके पास पर्याप्त अवसर: रूस

September 12, 2025
पेइचिंग में 2025 विश्व पर्यटन सहयोग और विकास सम्मेलन आयोजित
अंतरराष्ट्रीय

पेइचिंग में 2025 विश्व पर्यटन सहयोग और विकास सम्मेलन आयोजित

September 12, 2025
Next Post
लखनऊ में चमकी ‘निशानची’ की टीम, थिएटर में पोस्टर लॉन्च कर बढ़ाया दर्शकों का उत्साह

लखनऊ में चमकी ‘निशानची’ की टीम, थिएटर में पोस्टर लॉन्च कर बढ़ाया दर्शकों का उत्साह

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

099115
Total views : 5975077
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In